मनोज सिन्हा के गांव के साथ लोकसभा के लोग और शुभचिंतक जहां खुश हैं वहीं बुद्धिजीवी तबका थोड़ा मायूस भी है, क्योंकि बतौर सांसद और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने गाज़ीपुर में करीब 20 हजार करोड़ रुपए की विकास परियोजनाएंं चलवा रखी थी और कई परियोजनाएं अधर में भी हैं। जनपद में यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि उन्हें राज्यसभा से फिर मंत्री बनाया जा सकता है। जिससे जनपद का विकास फिर गति पकड़ेगा।
पर जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बनाए जाने की खबर से अब इस पर विराम सा लगता दिख रहा है, और अब अटकलें ये लगाई जा रही है कि लगभग 62 साल के हो चुके मनोज सिन्हा (1 जुलाई 1959) एक्टिव राजनीति से दूर हो रहे हैं तो उनकी जगह अब लोकसभा का प्रतिनिधित्व भाजपा से कौन करेगा। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में बैकवर्ड + दलित + मुस्लिम + असंतुष्टों के गठबंधन के जातिगत राजनीतिक समीकरण ने विकास को दरकिनार करते हुए अपना फैसला बसपा के अफ़ज़ाल अंसारी के पक्ष में सुनाया था, तो अब ये बड़ा सवाल है कि राज्यपाल या उपराज्यपाल जैसे पद के बाद एक्टिव राजनीति का कितना स्कोप रह जाएगा? लोगों का मानना है कि अब वक्त आ गया है कि भारतीय जनता पार्टी गाज़ीपुर लोकसभा के लिए नया चेहरा तलाश ले है।