scriptग्राउंड रिपोर्ट: लॉक डाउन में सूना पड़ा है फूलों का कारोबार, पुष्प उत्पादक बेहाल | Ground Report Flower Growers and farmers in bad condition during Lockd | Patrika News

ग्राउंड रिपोर्ट: लॉक डाउन में सूना पड़ा है फूलों का कारोबार, पुष्प उत्पादक बेहाल

locationगाजीपुरPublished: Apr 11, 2020 12:54:06 pm

किसानों का दर्द, खेतों में खड़ी है फूलों की फ़सल, मंडी में नहीं हैं खरीदार।

,Flower Growers

,फूल उत्पादक

ग़ाज़ीपुर. फ़ुल्लनपुर के उमेश के खेतों में गुलाब और गेंदे की मनचाही फ़सल लहलहा रही है, उमेश रोज़ाना खेत भी जाते हैं और फूलों की तोड़ाई भी करते हैं, लेकिन बाज़ार में इन फूलों का कोई खरीदार नहीं। हज़ारों रुपये के फूल इसी तरह रोज सड़ रहे हैं। फूलों की खेती के लिये मशहूर गज़ीपुर के फूल्लनपुर के किसानों की लॉक डाउन में यही कहानी है।

फ़ुल्लनपुर इलाका फूलों की खेती का हब बन चुका है। क्षेत्र में 200 से अधिक किसान परिवार इसकी खेती करते हैं। यहां के लोग पूरी तरह से फूलों की खेती पर ही निर्भर हैं। बेहतर फसल होने के बावजूद किसान इसे बेचने के बजाय फेकने को मजबूर हैं।

 

फूल उगाने वाले किसान उमेश कुमार कहते हैं कि लॉक डाउन की वजह से स्थिति बहुत खराब है। रोज़ाना जो 500 से 600 की बिक्री छोटा किसान भी कर लेता था, वह अब 50 रुपये भी मुश्किल हो गया है। मंदिर से लेकर सभी धर्मस्थल बंद हैं और वैवाहिक लग्न भी सारे कैंसिल हो चुके हैं। ऐसे में किसान बर्बाद और मंडी भी सुनसान पड़ी है।
सुनील यादव ने बताया कि वो लोग गुलाब, गेंदा, कुंद समेत विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती करते हैं। फूल पौधों पर लगे हुए हैं, पर समझ नहीं आ रहा कि इन्हें तोड़ें या पेड़ से ही झर जाने दें, क्योंकि लॉक डाउन में इसके खरीदार नहीं हैं। सरकार से अपेक्षा है कि फूल के किसानों के लिए भी कुछ करे। चंदन कुमार की भी सरकार से यहीं मांग है कि लॉक डाउन में उन लोगों को भी कुछ सरकारी सहायता मिले। यही हाल फूल बेचने वालों का भी है, अर्चना ने बताया कि सारी लग्न कैंसिल हो चुकी है। आमदनी कुछ नहीं हो रही। गुज़ारा मुश्किल हो गया है।
ज़िला उद्यान अधिकारी शैलेंद्र दुबे ने बताया कि ज़िले में करीब 200 किसान विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती करते हैं, पंजीकृत और अपंजीकृत मिलाकर ये संख्या 500 से कहीं ज्यादा हो सकती है। लेकिन शासन प्रशासन द्वारा फूल के किसानों के लिए कोई ऐसा निर्देश नहीं दीया गया है। अगर भविष्य में राहत के लिये कुछ आता है तो उनके लिये ज़रूर कुछ किया जाएगा।
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