जी हां लाखों करोड़ों का मुनाफा देने वाले कारखाने जहर मालिकों के लिए तो मोटा मुनाफे दे रहे हैं। पर ये प्रकृति के लिए जहर उगल रहे हैं। जिला प्रसासन ने ये रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी है।
दरअसल पिछले दिनों उत्तर-प्रदेश सरकार ने गाजीपुर जिला प्रशासन को एक पत्र लिखकर जनपद में हो रहे प्रदूषण की एक रिपोर्ट माँगी थी और उत्तर-प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी यहाँ की औद्योगिक इकाईयों का लगातार जाँच भी कर रहे थे। इसी के अनुपालन में जिलाधिकारी ने लोकल कमेटी बनाकर मजिस्ट्रेट रमेश यादव से जनपद में चल रहे छोटे बड़े औद्योगिक इकाइयों का औचक निरीक्षण करवाया।
संयुक्त रूप से की गई इस जांच में जिला मुख्यालय से मात्र कुछ दूरी पर ग्रामीण इलाकों में लगे निजी क्षेत्र दो बड़े कारखाने अपत्तिजनक मिले जिसमें एक लार्ड्स डिस्टलरी जो जनपद मे पिछले दो दशक से देशी और विदेशी शराब व्यापक पैमाने पर बनाती है और करोड़ों का मुनाफा कमाती है। वहीं दूसरी बड़ी इकाई सुखबीर एग्रो जो मूल रूप से धान की भूसी से कई बाई प्रोडक्ट बनाती है जिसमें बिजली का उत्पादन भी शामिल है।
इन दोनों बड़ी कम्पनियों की जाँच में ये मानक के विपरीत पायी गयीं। इसकी शिकायत स्थानीय लोगों ने भी समय-समय पर पत्र और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से किया। मामले पर ग्राम प्रधान का कहना है कि फैक्ट्री की राख से हम लोगों का रहना मुश्किल हो गया है और पलायन की स्थिति खड़ी हो गयी है। इसमें अधिकारियों की भी मिलीभगत भी है और यही वजह है कि जो इनके खिलाफ शिकायत करता है उसके खिलाफ ये लोग मुकदमा करा देते हैं।
वहीं पत्रिका से बातचीत में जाँच दल के अधिकारी रमेश यादव ने बताया कि शासन द्वारा जिला प्रशासन से प्रदूषण के बारे में जानकारी माँगी गयी थी जिसमें जिलाधिकारी के निर्देश पर उत्तर-प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ हम लोगों ने जनपद की कई इकाइयों की जाँच की जिसमें जनपद की निजी क्षेत्र की दो बड़ी इकाइयां सुखबीर एग्रो एनर्जी और लार्ड डिस्टलरी प्रदूषण नियंत्रण के मानकों का पूरा नहीं कर रहीं हैं। इस आशय की रिपोर्ट जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेज दी है।