दरअसल इस मामले की शुरूआत तब हुई थी, जब मंत्री ओमप्रकाश राजभर के प्रतिनिधि रामजी राजभर और उसके भाई ने जमीन की नापी करने गए कानूनगो और लेखपाल की पिटाई व गाली गलौज किया था, जिसके बाद पीड़ित ने थाने में तहरीर दिया लेकिन भासपा के नेता अपने रसूख से मुकदमा दर्ज नही होने दे रहे थे।मगर जिलाधिकारी के दखल के बाद मुकदमा दर्ज हुआ।
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मंत्री के प्रतिनिधि रामजी राजभर जिलाधिकारी पर दबाव बनाकर मुकदमा वापस कराना चाहा, मगर मुकदमा वापस नहीं हुआ। जिलाधिकारी जब इनके दवाब में नही आए तो फिर इन लोगों ने जिलाधिकारी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया और चार जुलाई को धरना देने की घोषणा की। भासपा नेताओं पर जिला प्रशासन पर गरीबों के हितों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया था। बाद में लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ और ओमप्रकाश राजभर की मुलाकात के बाद धरना खत्म करने का फैसला हुआ था, हालांकि इस मामले के बाद भी संजय खत्री ओमप्रकाश राजभर के निशाने पर थे।