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मानसून आने से मनरेगा मजदूर फिर से हो जाएंगे बेरोजगार, सपा के इस पूर्व मंत्री ने की यह मांग

locationगाजीपुरPublished: Jun 13, 2020 04:47:40 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

– मनरेगा मजदूर फिर से बेरोजगार हो जाएंगे
– मानसून आ जाने से मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का काम बंद हो जाएगा
 

मानसून आने से मनरेगा मजदूर फिर से हो जाएंगे बेरोजगार, सपा के इस पूर्व मंत्री ने की यह मांग

मानसून आने से मनरेगा मजदूर फिर से हो जाएंगे बेरोजगार, सपा के इस पूर्व मंत्री ने की यह मांग

गाजीपुर. उत्तर प्रदेश समेत देश भर में इस साल मौसम विभाग द्वारा 15 जून से मानसून आने की सम्भावना जताई जा रही थी। ऐसे में इस साल मानसून ने पहले ही दस्तक दे दी है। प्रदेश में मानसून आ जाने से अगर सबसे ज्यादा दिक्कत होगी तो वो दिहाड़ी मजदूरों को होगी क्योंकि मानसून आ जाने से मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों का काम बंद हो जाएगा और मनरेगा मजदूर फिर से बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे में कोरोना महामारी और मानसून को देखते हुए सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह मनरेगा मजदूरों की परेशानियों को देखते हुए केंद्र व प्रदेश सरकार से आपात बैठक बुलाकर मनरेगा के 100 दिनों के काम को बढ़ाकर 200 दिन करने के साथ ही कच्चे कामों को 25 फीसदी और पक्के कामों को 75 फीसदी करने की मांग की है।

बता दें कि लॉकडाउन के दौरान लोगों को तमाम परेशानियों से दो-चार होना पड़ा। एक तरफ बेरोजगारी बढ़ी तो दूसरी तरफ आम लोगों का जनजीवन बहुत ही कठिन दौर से गुजरने लगा है। ऐसे में विपक्ष ने सरकार की नीतियों पर हमला बोलना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में प्रदेश के पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने मीडिया के मार्फत मनरेगा स्कीम में मूलभूत तब्दीलियां की मांग की है। सिंह ने कहा कि मनरेगा के तहत महज 100 दिन का काम दिया जाता है। इसे बढ़ाकर 200 दिन किया जाना चाहिए। साल में 365 दिन होता है, और महज 100 दिन के रोजगार पर किसी भी परिवार का भरण पोषण संभव नहीं है।

वहीं उन्होंने यह भी कहा कि पक्के और कच्चे कामों के अनुपात पर भी सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए। आगामी मानसून को देखते हुए मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कार्य का अनुपात 75:25 यानी पक्के काम 75 फ़ीसदी और मिट्टी से जुड़े कार्य 25 फ़ीसदी होना चाहिए। जिससे कि लोगों को बरसात के दिनों में भी रोजगार मुहैया होता रहे। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो मानसून के आगमन पर चकरोड की कटाई पोखरे की सफाई आदि कार्य बाधित हो सकते हैं और मनरेगा के तहत रोजगार मिलने वाले युवाओं को बेकार ही बैठना पड़ेगा।

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