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उफनाई मगई नदी: अपने ही गांव पहुंचने के लिए करनी पड़ रही 35 किमी की यात्रा

डीएम ने जताई चिंता, कहा शासन से करेंगे बात

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उफनाई मगई नदी: अपने ही गांव पहुंचने के लिए करनी पड़ रही 35 किमी की यात्रा

आलोक त्रिपाठी

गाजीपुर. कई राज्यों में हो रही बारिश के कारण गंगा के साथ ही जिले की सहायक नदियां भी तेजी से बढ़ रही है। अब हाल ये हो गया है कि नदी के किनारे बसे गांवों के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है। गाजीपुर जिले में बहने वाली नौ सहायक नदियों का भी यही हाल है। लेकिन मगई नदी के किनारे बसे गांव कयामपुर के लोगों पर बाढ़ का खासा असर दिख रहा है। जहां अपने गांव पहुंचने के लिए लोगों को 35 किमी अधिक दूरी नापनी पड़ रही है।

बतादें कि कयामपुर गांव नोनहरा थाने इलाके से पांच किमी की दूरी पर बसा है। गांव के लोगों को मुख्य बाजार के साथ ही थाना क्षेत्र और प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र भी नोनहरा में ही है। इस कारण तकरबीन तीन हजार से अधिक आबादी वाले इस गांव के लोगों की बड़ी जरूरत नोनहरा से ही पूरी होती है। हर रोज यहां का आना जाना है। इतनी ही नहीं नदी इस पार और उस पार के लोगों की खेती भी दोनों तरफ है। जिसके लिए लोगों को वहां तक पहुंचना जरूरी है। लेकिन जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और प्रशासन की अनदेखी के कारण हर साल बारिश में इन ग्रामीणों को भारी समस्या होती है। इस बार भी हालत ऐसे ही है।

गांव के लोगों ने अपनी सुविधा के लिए लकड़ी के पुल का निर्माण कराया था। लेकिन बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण ये पुल पानी के साथ ही बह गया। अब परेशानी ये है कि दोनों तरफ के लोगों का जुड़ाव खत्म हो गया। न खेती का काम कर पा रहे हैं और न बाजार थाने और स्वास्थ केन्द्र पहुंच पा रहे हैं।

नाव का सहारा, जोखिम में जान

गांव के लोग कहते हैं कि नोनहरा जाने के लिए हमें जान जोखिम में डालनी पड़ती है। नाव के सहारे जाते तो हैं पर पानी का तेज बहाव और अधिक सवारियों के कारण हर वक्त भय बना रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए।

छूटी बच्चों की पढ़ाई

हैरानी की बात ये है कि पानी के बाढ़ और पुल न होने के कारण पढ़ाई के सबसे बेहतर समय में बैठे घर बैठे हैं। खासकर के लड़कियों की शिक्षा पूरी तरह से बाधित हो रही है। छोटे बच्चे भी स्कूल नहीं जा रहे हैं।

35 किमी अधिक हो गया रास्ता

जो लोग पुल पार कर नोनहरा की तरफ हो जाते थे अब वही रास्ता उनके लिए 35 किमी दूर हो गया। अब कयामपुर के लोगों को नोनहरा आने के लिए रसूलपुर होते हुए अहलावलपुर पुल पर पहुंचते है। फिर पुल मोहनपुरा फिर बांसुदेवपुर होते हुए नोनहरा पहुंच पाते हैं। जिसकी दूरी तकरीबन 35 किमी हो जाती है।

अपने ही ग्रामसभा में पहुंचने के लिए 35 किमी का सफर

इतना ही नहीं सबसे बड़ी हैरानी की बात ये है कि कयामपुर की ग्राम पंचायत चकिया में है और दोनों नदी आर-पार हैं। अपने ही ग्राम प्रधान के सिग्नेचर कराने के लिए गांव वालों को आना हो तो लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। ये नहीं कि बाढ़ से ऐसा पहली बार हो रहा है। हर साल का यही हाल है लेकिन लापरवाही ने लोगों की जिंदगियां बेहाल कर रखी है।

डीएम ने कहा शासन से करेंगे बात

जिलाधिकारी के बाला जी ने इस मामले पर पत्रिका से बातचीत में कहा कि ये मामला हमारे संज्ञान में है। लोगों को भारी परेशानी हो रही है। हम यहां पुल के निर्माण के लिए शासन से बात करेंगे तोकि हमेशा के लिए समस्या दूर हो सके।