ओम प्रकाश राजभर ने यहां मीडिया से बात की और कई बयान दिये। सबसे पहले उन्होंने सुभासपा और बीजेप के गठबंधन के भविष्य पर कहा कि हम गरीब और अति पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे हैं। गेंद को बीजेपी के पाले में बताते हुए कहा कि मैंने 100 दिन का अल्टिमेटम दिया है। अगर तब तक भी सरकार ने पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत अरक्षण में बंटवारा कर अति पिछड़ों को उनका हक नहीं दिया तो गठबंधन भी नहीं रहेगा। गरीबों से एससी/एसटी आरक्षण और ओबीसी कोटे में बंटवारे के नाम पर वोट तो ले लिया गया, पर जब काम करने की बारी आयी तो खामोश हो गए। राजभर ने कहा कि गरीब और कमजोर अपने अधिकार के लिये परेशान हैं। 72 साल की आजादी में आज अकेले यूपी में ही एक करोड़ 70 लाख बच्चे प्राइमरी स्कूलों में पढ़ते हैं। इन स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है, जहां कुर्सी-मेज तक की व्यवस्था नहीं हो पायी है आज तक।
मुख्तार अंसारी के घर आने पर सियासी चर्चा को लेकर हुए सवाल के जवाब में संभावित गठबंधन के दलों का नाम लेते हुए कहा कि सोनिया गांधी के यहां भी जाता हूं, संजय राउत से भी मिलता हूं। अखिलेश यादव के यहां जाता हूं तो मायावती से भी मुलाकात होती है। लालू यादव, राम विलास पासवान सबसे मिलता हूं। फिर बात बदलते हुए कहा कि, लोकसभा और विधानसभा का जायजा लेंगे तो पाएंगे कि सब एक जगह बैठकर मलाई खाते हैं।
गाजीपुर में आरक्षण को लेकर धरने के दौरान हमले में पुलिस वाले की मौत मामले में सपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी का बचाव किया। उन्होंने पूरी घटना के पीछे राजनैतिक प्रतिद्वन्दि्वता के तहत सोची-समझी साजिश की आशंका जतायी। कहा कि निषाद पार्टी के जो लोग धरना दे रहे थे उन्हें समझाकर किनारे किया जा सकता था। उन लोगों ने रैली रोकने की कोशिश नहीं की थी। वो रैली में नहीं जा सकते थे इसलिये मैसेज देना चाहते थे कि आपने चुनाव के पहले जो कोटे में कोटा का वादा किया था वह पूरा नहीं हुआ और 2019 का चुनाव आ गया है। उन्होंने राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ताजा बयान को लेकर कहा कि हाथी के दांत खाने और दिखाने के अलग होते हैं।
By Alok Tripathi