गाजीपुर के माधव कृष्ण की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। माधव कृष्ण की नौकरी सिंगापुर के एक बैंक में लगी थी लेकिन माधव कृष्ण कसे देश के बच्चों को तरक्की की राह पर ले जाने का जुनून है इसी जुनून के चलते वह सिंगापुर में बैंक की नौकरी छोड़ कर गांव आ गये। यहां पर स्कूल खोल कर बच्चों को पढ़ाने के साथ योगा भी सिखाने लगे। माधव कृष्ण्ण मैथ व अन्य विषय खुद पढ़ाते थे। स्कूल की फीस इतनी कम रखी थी कि कम पैसों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल रही है। कई माह पहले ही स्कूल में ६ जनवरी को वार्षिकोत्सव मनाने का निर्णय हुआ था। बच्चों को जब इस बात की जानकारी हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वार्षिकोत्सव को लेकर बच्चे बेहद उत्साहित थे और रोज मन लगा कर तैयारी में जुटे थे। इसी बीच 31 दिसम्बर को शिक्षक माधव कृष्ण के बड़े भाई ज्योति कृष्ण की हार्ट अटैक से मौत हो गयी। बड़े भाई की मौत ने शिक्षक माधव कृष्ण को अंदर से तोड़ कर रख दिया। ऐसे लगा कि शिक्षक के उपर गमों का पहाड़ टूट गया है। बच्चों के अभिभावक ने कहा कि वह वार्षिकोत्सव को टाल दे। बाद में इसका आयोजन किया जायेगा। इस पर माधव कृष्ण ने कहा कि यह मेरे लिए परीक्षा की घड़ी है। वार्षिकोत्सव टाल दिया जायेगा तो बच्चों का दिल टूट जायेगा। स्कूल के नर्सरी से कक्षा छह तक के बच्चों इस बात का समझ नहीं पायेंगें। बड़े बच्चों होते तो कोई बात नहीं होगी। इसके बाद माधव कृष्ण ने पूर्व निर्धारित दिन छह जनवरी को स्कूल में वार्षिकोत्सव कराया। बच्चों ने उत्साह के साथ वार्षिकोत्सव में भाग लिया। वार्षिकोत्सव में बच्चों ने जबरदस्त परफार्मेंस करके महिनों की तैयारी दिखायी। गम का पहाड़ उठाये शिक्षक ने जब देखा कि वार्षिकोत्सव के कारण बच्चों के चेहरे खिल गये हैं तो कुछ देर के लिए वह अपना गम भी भूल बैठे। धीरे-धीरे यह बात आस-पास के गांव के लोगों को हुई तो उन्होंने शिक्षक के जज्बे को सलाम किया।
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