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शहीद वीर अब्दुल हमीद के गांव आने पर मैं खुद को भाग्यवान समझता हूं: रामनाईक

locationगाजीपुरPublished: Sep 10, 2017 11:58:00 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी ने राज्यपाल को 4 मांगों से सम्बंधित मांग पत्र सौंपा था जिसपर  राज्यपाल ने उसके लिए प्रयास करने की बात कही है

Governor Ram Naik

राज्यपाल राम नाईक

गाजीपुर. मैं खुद को भाग्यवान समझता हूं कि शहीद वीर अब्दुल हमीद की जन्मभूमि पर आने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं उन्हें प्रणाम करता हूं जिन वीरों ने देश के लिए खुद को शहीद कर दिया। मैं उन्हें प्रणाम करता हूं जो पाकिस्तान के दिए गये धोखे का उत्तर भी उसी तरह दिया। 1965 में जो लड़ाई हुई थी उस समय पैटनटैक तोड़ने वाले कभी कभी वीर पैदा होते है ऐसे वीर को प्रणाम करता हूं। उक्त बाते शहीद वीर अब्दुल हमीद की शहादत पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाईक ने कही।
उन्होंने कहा कि सेना में जो सर्वश्रेठ काम करने वाले को परमवीर चक्र मिलता है। देश आजाद होने के बाद अब तक 21 लोगों को परमवीर चक्र मिला है। उनमें से एक पदक गाजीपुर के वीर अब्दुल हमीद भी है।

पाकिस्तान के साथ लड़ाई में 450 सैनिक शहीद हुए थे। सैनिकों के परिजनों को पर्याप्त पेन्शन नहीं मिलती है। जब मैं पेट्रोलियम मंत्री था तब मैंने तत्कालीन प्रधान मंत्री अटलबिहारी बाजपेई से कहा था कि शहीदों के परिजनों को गैस एजेंसी और पेट्रोल पंप दिया। अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीबी ने राज्यपाल को 4 मांगों से सम्बंधित मांग पत्र सौंपा था। राज्यपाल ने उसके लिए प्रयास करने की बात कही।
बतादें कि हर वर्ष कि भांति इस वर्ष भी शहीद वीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस मनाया जा रहा है। इस साल उनका 52वां शहादत दिवस है। वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल रामनाईक पहुंचे हैं।

कार्यक्रम में राज्यपाल राम नाइक और सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत मौजूद हैं। वीर अब्दुल की पत्नी रसूलन बीबी बुधवार को पति के शहादत दिवस पर राज्यपाल को मुख्य अतिथि बनाने के लिए राम नाईक से मिलकर की थी आमंत्रित की।
अचूक निशानेबाजी से ध्वस्त किये थे अमेरिका निर्मित पैंटन टैंक
वीर अब्दुल हमीद 1965 की भारत-पाकिस्तान की जंग में अमेरिका निर्मित पैंटन टैंक जिन्हें कि अजेय समझा जाता था। उन टैंकों को गाजीपुर जनपद के धामूपुर गांव के रहने वाले जवान वीर अब्दुल हमीद ने अपने जीप पर लगी सामान्य गन से अपने अचूक निशानेबाजी से ध्वस्त कर दिया और शहीद हो गये। इन्हें मरणोपरान्त सेना के सर्वोच्च पदक परमीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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