जी हां कानूनमंत्री बृजेश पाठक शनिवार को जिला योजना की बैठक में पहंचे थे। बैठक के बाद उन्होंने बताया कि मॉब लिंचिंग पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और सर का बेहद चिंतित है और एक नया कानून बनाने जा रही है उन्होंने बताया कि विधि आयोग ने रिपोर्ट दी है जिसके आधार पर हम कानून बनाने जा रहें है। मंत्री ने कहा कि भीड़ किसी पर हमला करती है तो उसके लिए भी कानून बनाया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि इस कानून के हिसाब से हल्की चोट पर सात साल की सजा, गंभीर चोट पर 10 साल सश्रम कारावास व मौत हो जाने पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। मंत्री ने कहा कि पीडि़त व्यक्ति को तत्काल पांच लाख का मुआवजा देने का निर्णय हुआ है।
डीएम एसपी होंगे जिम्मेदार इसी तरह से मॅाब लिंचिंग की घटनाओं के लिए कानूनमंत्री ने कहा कि अगर जिलाधिकारी और पुलिसअधीक्षक पीड़ित व्यक्ति की जानबूझ कर उपेक्षा करते और सुरक्षा प्रदान नहीं करते तो तीन वर्ष की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना का प्रस्ताव है। जिसपर कानून तैयार हो रहा है। मंत्री ने कहा कि किसी भी तरह के अपराध को लेकर यूपी में कहीं जगह नहीं है। कहा कि इस सरकार में अपराधी जिला छोड़कर बाहर जा चुके हैं।
राज्य विधि आयोग ने दी थी रिपोर्ट बतादें कि मॅाब लिंचिंग को लेकर राज्य विधि आयोग ने इस सिलसिले में प्रदेश सरकार से विशेष कानून बनाने की सिफारिश की थी। आयोग के चेयरमैन न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी अपनी 130 पेज की विस्तृत रिपोर्ट में भीड़ हिंसा से मौत होने पर उम्र कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना की सिफारिश की थी जिसके बाद सरकार ने इसे कानून में बदलने का फैसला किया है।
क्या कहते हैं आंकड़े यूपी में मॅाब लिंचिंग की घटनाओं पर नजर डालें तो 2012 से 2019 तक भीड़ हिंसा की 50 घटनाएं सामने आईं हैं। जिममें 11 लोगों की मौत हो चुकी है। 25 मामले बेहद संगीन हैं। हाल के दिनों की बात करें तो उत्तेजित भीड़ ने पुलिस इंस्पेक्टर की हत्या कर दी थी। वहीं उन्नाव, हापुड़, फर्रुखाबाद, मुजफ्फरनगर, गाजीपुर समेत यूपी के कई जिलों में भीड़ द्वारा हिंसा के मामले सामने आए थे।