अब्दुल हमीद की बेटी ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया, कहा- शहीदों को पदक देना महज दिखावा
गाजीपुर. 1965 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध में शहीद वीर अब्दुल हमीद किसको याद नहीं। हर बच्चे के जुबान पर परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का नाम वीरता के रूप में लिया जाता है। अब्दुल हमीद देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। पांच पैटन टैंकों को हथगोले से तोड़ने वाले अब्दुल हमीद 10 सितंबर 1965 को खेमकरण सेक्टर के आसल उताड़ में अदभुत वीरता का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे।
अब्दुल हमीद का परिवार आज सरकार के रवैये से नाराज है। अब्दुल हमीद के चार बेटे और एक बेटी है। हमीद की पत्नी रसूलन बीबी ने समाज और सरकार से लड़ाई लड़कर बच्चों का भरण पोषण किया लेकिन आज भी इनकी बेटी नाजबुन निशा गाजीपुर के डी टाईप सरकारी जर्जर क्वार्टर में रहने को मजबूर हैं।
नाजबुन निशा के पति शेख अलाउद्दीन डीआरडीए से रिटायर्ड हैं और पेंशन फंड के लिए परेशान है। इनके चार बेटे है सिर्फ एक बेटा ही कमासुत है जिसके सहारे परमवीर चक्र विजेता की इकलौती बेटी मुफलिसी में रहती है। कैमरे के सामने नाजबुन निशा ने अपने रिटायर्ड पति के फंड और पेंशन के न मिलने की परेशानी बतायी और कहा कि इसके लिए हम अपनी अम्मा रसुलन बीबी के साथ मुख्यमंत्री से भी मिले लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई।
बातों बातों में अपने माली हालात ना ठीक होने की बात करते हुए परमवीर चक्र विजेता की बेटी ने कहा कि सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है और जब हमारे ये हालात है तो बाकी और जो शहीद हो रहे है उनका क्या होगा ये आप ही अंदाजा लगाए। हमारे घर के लोग देश के लिए कुर्बान हो जा रहे है और सरकार है कि हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रही है। हम सरकार में बैठे नेताओं से कई बार मिले लेकिन कोई नहीं सुना तो ऐसे नेताओं को हम गद्दार मानते है।
एक सवाल के जवाब में कि क्या आप अपने बच्चों को फौज में भेजना पसंद करेगी। तो शहीद परमवीर चक्र विजेता की बेटी का कहना था कि क्या भेज के करेगें जब कोई सुनवाई ही नहीं होगी। यूं तो अब्दुल हमीद के परिवार में उनकी बेवा रसुलन बीबी काफी उग्र दराज हो चुकी है। बुढ़ापे का रोग उनको बोलने और सुनने नहीं देता लेकिन इस शहीद का परिवार सरकार की दी जा रही सुविधाओं से फिलहाल संतुष्ट नहीं है। नाती अंतुले शेख संविदा कर्मचारी है और उनका कहना है कि सरकार को हमलोगों की हालत पर तरस खाना चाहिए और कुछ मदद करना चाहिए। क्योंकि पिता के रिटायर्डमेंट के बाद हमलोग काफी परेशान है।