जन्मदिन विशेष: पेड़ के पत्ते खाकर चीन से लड़े थे वीर अब्दुल हमीद, अकेले ही उड़ा दिये थे पाकिस्तान के 7 टैंक
वीर अब्दुल हमीद यूपी के अकेले ऐसे शहीद हैं, जिन्हें सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।

गाजीपुर. दुनिया का हर युद्ध हार-जीत के साथ ही अपने पीछे उन सैनिकों की कहानियां भी छोड़ जाता है जिसे सुनने के लिए वे हमारे बीच मौजूद नहीं रहते। वीर अब्दुल हमीद जिनका जन्म एक जुलाई 1933 को धामुपुर गाजीपुर में हुआ था, भारत के ऐसे ही शूरवीरों में से एक थे जिनके बलिदान की कहानी आज हमें प्रेरणा देती है।
वीर अब्दुल हमीद यूपी के अकेले ऐसे शहीद हैं, जिन्हें सर्वोच्च सैनिक सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। देश पर मरने वाले वीर सपूतों का जब भी नाम लिया जाता है तो गाजीपुर के मरणोपरांत परमवीर चक्र विजेता शहीद अब्दुल हमीद का नाम बरबस ही होंठों पर आ जाता है। 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में उन्होंने दुश्मनों का खूब लोहा लिया था और फिर 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग में अमेरिका निर्मित अजेय सात पैटेन टैंक को हथगोले से उड़ाने में शहीद हो गये।
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वीर अब्दुल हमीद की पत्नी रसूलन बीवी के अनुसार सेना में भर्ती के बाद पहला युद्ध उन्होंने चीन से लड़ा और जंगल में भटक कर कई दिनों तक भूखे रहकर किसी तरह घर आये थे जहां पत्ता तक खाना पड़ा था।
1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध से पहले 10 दिन के लिए छुट्टी पर आए थे रेडियो से सूचना मिली तो हड़बड़ी में जंग के मैदान में जाने को बेताब हो गये, घर वाले मना करते रह गए, जाते वक्त कई अपशगुन हुए उनकी बेडिंग खुल गयी, साइकिल पंचर हो गयी लेकिन भोर में वो निकल ही गये और जिस जांबाजी से उन्होंने लड़ाई लड़ी वो फिर सबको पता है। गांव वालों का कहना है कि ढ़ेला मारने में निशानची हमीद साहब का वो हुनर हथगोले से पैटनटैंक तोड़ने के काम आया और शहीद होने तक सात पाकिस्तानी पैटन टैंक को उन्होंने नष्ट कर दिया। 9 सितंबर को 1965 को वह शहीद हो गये थे, हालांकि उनके शहीद होने की घोषणा 10 सितंबर को की गई।
वीर अब्दुल हमीद पर बना धारावाहिक
सन् 1965 के युद्ध के बाद निर्देशक चेतन आनन्द ने 1988 में दूरदर्शन पर धारावाहिक भी बनाया। परमवीर चक्र में वीर अब्दुल हमीद की भूमिका नसीरुद्दीन शाह ने निभाई।
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