बताते चलें कि ओम प्रकाश राजभर ने लोकसभा चुनाव में सीटों की मांग को लेकर बीजेपी पर दबाव बनाना मंत्री बनने के बाद से ही शुरू कर दिया था। इसके बाद कई बार दबाव बनाने के लिये एनडीए छोड़ने तक की धमकी दी। सपा-बसपा का गठबंधन होने के बाद तो उन्होंने भाजपा और योगी सरकार को अल्टिमेटम ही दे डाला कि 24 फरवरी तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वह सपा-बसपा गठबंधन के साथ जा सकते हैं। ऐसा नहीं हुआ तो अकेले ही 80 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। उनकी मांगें क्या थीं, जाहिर तौर पर तो ओबीसी कोटे में आरक्षण व गरीबों की शिक्षा को लेकर, लेकिन इसके पीछे छिपी हुई मांग थी लोकसभा में सीटें और लखनऊ में पार्टी कार्यालय के लिये बंगला। उन्होंने राजा भइया और शिवपाल यादव को बंगला मिलने के बाद भी योगी सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा था कि हम काफी समय से पार्टी कार्यालय के लिये बंगला मांग रहे हैं, लेकिन हमें नहीं दिया जा रहा है और अभी-अभी बनी पार्टियों को इतने बड़े बंगले मिल रहे हैं। जिस विधायक त्रवेणी राम के नाम पर बंगला एलार्ट किया गया है उन्होंने पत्रिका से फोन पर इसकी पुष्टि की। कहा कि बंगला इतना बड़ा है कि वह इसमें उनके आवास के अलावा पार्टी कार्यालय का काम भी काम बड़ी ही आसानी से लिया जा सकता है।
अब लोकसभा चुनाव में संभावित नुकसान को देखते हुए बीजेपी अपने पुराने सहयोगियों को फिर सहेजने में जुटी है। इसी के तहत गाजीपुर के जखिनिया से सुभासपा विधायक के नाम पर योगी सरकार ने लखनऊ में एक बड़ा बंगला एलार्ट कर दिया है। कहा जा रहा है कि उसी में राजभर की पार्टी का ऑफिस खोला जाएगा। योगी सरकार के इस कदम से राजभर समर्थक खुश हैं। यह हो सकता है कि राजभर की नाराजगी कुछ हद तक दूर हो जाए। बताते चलें कि गाजीपुर, बलिया, देवरिया, मऊ समेत पूर्वांचल के जिलों में राजभर वोटों की अच्छी खासी तादाद है और इसी के चलते राजभर बीजेपी के लिये मजबूरी बनते जा रहे हैं। यही बात जानते हुए ओम प्रकाश राजभर बीजेपी पर लगातार दबाव बनाते रहे हैं।