गिरिडीह। सातवां वेतन आयोग द्वारा की गई सभी लाभकारी अनुशंसा को लागू झारखंड सरकार ने लागू नहीं किया। इसके लागू होने से केंद्रीय कर्मचारियों के अनुरुप राज्य के कर्मचारियों को भी लाभ व सुविधा मिलने लगेगी। इसे 1 जनवरी 2016 से ही लागू करना चाहिए था। इसे लागू नहीं किए जाने से कर्मचारियों में काफी आक्रोश है।
बता दें कि झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राज्य सचिव जीबी राम ने कहा कि अगर इसे इस महीने के अंतिम दिनों तक लागू नहीं किया गया तो फरवरी में आंदोलन किया जाएगा। पहले चरण में संगठन के बैनर तले मुख्यमंत्री के आवास पर प्रदर्शन किया जाएगा।
शनिवार को सिहोडीह में संगठन की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। कहा कि संगठन के महामंत्री सुनील कुमार साह ने 10 जनवरी 2017 को मुख्यमंत्री रघुवर दास को 21 सूत्री मांग पत्र सौंपा था, जिसमें सातवां वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू करने, सभी संवर्ग की सेवा नियमावली अविलंब प्रकाशित करने, सचिवालय एवं क्षेत्रीय कार्यालयों की कार्यावधि एक सामन की जाए, बायोमेट्रिक उपस्थिति पद्धति दर्ज करने की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए।
शिक्षण एवं वाहन भत्ता दिया जाए आदि मांगें शामिल है। संयुक्त सचिव राम आशीष पासवान ने कहा कि राज्यकर्मियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष की जाए। वर्षों से लंबित बोनस का भुगतान हो। संघर्ष पर्षद के अध्यक्ष डॉ. गणेश राम ने कहा कि वर्ग तीन के कर्मियों को आयकर से मुक्त रखा जाना चाहिए।
जिला महासंघ के सचिव महावीर राम ने कहा कि सभी विभागों के निरीक्षक, पर्यवेक्षक, हेल्थ एजुकेटर, बीईई संवर्ग को भी केंद्र के अनुरुप संशोधित वेतनमान दिया जाना चाहिए।