पुलिस के आलाधिकारियों के सामने किया सरेंडर
इनामी नक्सली बिरसाई ने पलामू प्रमंडल के आयुक्त मनोज कुमारडीआईजी विपुल शुक्ला के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इस मौके पर सीआरपीएफ डीआईजी जयंत पॉल के अलावा पलामू, गढ़वा और लातेहार के पुलिस अधीक्षक भी शामिल हुए।
मुख्यधारा में लाने के लिए पत्नी ने की मशक्कत
मूल रूप से लातेहार जिले के चंदवा का रहने वाला है कमलेश गंझू उर्फ बिरसई के आत्मसमर्पण कार्यक्रम में उसकी पत्नी पत्नी राजकुमारी देवी भी शामिल हुई। बिरसई के आत्मसमर्पण में मुख्य रूप से उसकी पत्नी राजकुमारी देवी ने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पुलिस अधिकारियों से बात कर बिरसई को आत्मसमर्पण के लिए तैयार किया। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली को राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत मुआवजा और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएगी। वहीं बिरसई ने भी सरेंडर करने के बाद अपने अन्य साथियों से मुख्य धारा में शामिल होकर बेहतर जिन्दगी व्यतीत करने की मांग की है।
9 साल की उम्र में बना था नक्सली
बिरसई के खिलाफ झारखंड के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार और छत्तीसगढ़ में भी कई मामले दर्ज है। वह भाकपा-माओवादी में संगठन के मिलट्री कमीशन का सचिव के रूप में सक्रिय था। बताया गया है कि माओवादी संगठन में अरविंद जी के बाद बिरसई का दूसरा नंबर था। साल 1993 में महज 9 वर्ष की उम्र में उसने नक्सली संगठन ज्वाइन किया था। बिरसाई के खिलाफ बूढ़ा पहाड़, लातेहार, गुमला, गढ़वा, लोहरदगा, सिमडेगा के इलाके में कई बड़े हमले में शामिल होने का आरोप है।
माओवादियों के लिए झटका
बताया गया है कि 2013 में लातेहार के कटिया हमले में बिरसाई माओवादियों का कमांडर था। इस हमले में सीआरपीएफ के 17 जवान शहीद हुए थे। वहीं बिरसाई का माओवादी संगठन के अंदर चल रहे आपसी संघर्ष के कारण संगठन में उसकी जिम्मेवारी और कद को छोटा कर दिया गया था। बिरसाई का आत्मसमर्पण करना माओवादियों के लिए बड़ा झटका है।