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पतंजलि के सम्मान में 24 दिवसीय यात्रा का शुभारम्भ, कोंडर में होगी अन्तर्राष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय की स्थापना

locationगोंडाPublished: Feb 09, 2018 03:52:12 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

पतंजलि पुरी कोंडर से पतंजलि आश्रम के विकास के लिए 24 द्विसीय यात्रा का शुभारंभ किया है

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गोण्डा. जिले के वजीरगंज विकास खण्‍ड स्थित कोंडर ग्राम मे पतंजलि जन्मभूमि नियास के संस्थापक डा० स्वामी भगवदा चार्य के नेतृत्व में पतंजलि पुरी कोंडर से पंतजलि आश्राम के विकास के लिय 24 द्विसीय यात्रा का शुभारंभ किया है ।
यह यात्रा पतंजलि पुरी कोंडर से लखनऊ बड़ौदा सूरत सोमनाथ नागेश्वर नाथ ? होते हुए द्वारिका पुरी तक जायेगी और 24 फरवरी को वापस आयेगी। यात्रा का उपदेश महर्षि पतंजलि के सम्मान में उनके जन्म स्थल कोंडर पर अंतरराष्ट्रीय योग विश्वविद्यालय की स्थापना करना। विश्व पर्यटन नक्शे पर पतंजलि की जन्मभूमि कोंडर गोंडा को संदर्भित करना और जन्मभूमि को पर्यटन स्थल घोषित किया जाना शामिल है। यात्रा शुरू होने के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि विश्व के 193 देशों में से 177 देशों ने योग को मान्यता दे दी है। 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। योग के नाम पर अनेक ब्यवसाय फल फूल रहे हैं। बावजूद इसके योग के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि गुमनामी के अंधेरे में है। डा० स्वामी ने कहा कि न्यास के प्रयासों से महर्षि की जन्म स्थली कोंडर गूगल पर परदर्षित हो रही है। अफसोस की बात है कि ये बात अब तक जिला प्रशासन और अन्य जिम्मेदारों को अब तक समझ में नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि यात्रा का उद्देश्य इन्हीं मुद्दों पर शासन – प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करना है।
यात्रा को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिला कायर्वाहक ने हरी झंडी देकर रवाना किया। इसके पूर्व गोपाल ग्राम कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि प्रसार वैज्ञानिक डा० संत कुमार त्रिपाठीसेवानिवृत्त सीएमओ डा० श्याम कुमार उपाध्याय संघ के जिला शारीरीक प्रमुख अवनि कुमार शुक्ल जिला रविन्द्र गोस्वामी ने यात्रा का अभिनंदन किया। इस अवसर पर भोले सिंह रामविहारी सिंह विपिन सिंह हनुमान प्रसाद दूबे रवि दूबे आदि उपस्थित रहे।
क्‍या है पतंजलि का इतिहास

महर्शियोगी पतंजलि की जन्मस्थली जिले के वजीरगंज विकास खंड के कोडर गांव मे स्थित जन्मस्थली आज भी विकास को तरस रही है। योगी सरकार मे महायोगी की जन्मस्थली विकास के सपने संजोए रही है। योगी सरकार में लोगो को उम्मीद है महर्षि पतांजली के जन्मस्थली का निश्चित तौर पर विकास होगा।
मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर विकास खंड वजीरगंज के पहले सरयू नदी और अब कोंडर झील के किनारे स्थित कोंडर गाँव के बाहर तीन तरफ से कोंडर झील से घिरे महर्षि पतंजलि का आश्रम उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। कुछ वर्षों से यहाँ योग दिवस मनाया जाता नेता मंत्री आते आश्वासन देकर चले जाते लेकिन सब कोरा आश्वासन रहा लोगो को अब योगी सरकार से आश्रम के विकास की उम्मीद बढ़ी है।
बताया गया है कि विक्रम संवत दो हजार वर्ष पूर्व श्रावण मास की शुक्ल पंचमी को महर्षि पतंजलि ने गोनर्द की पावन धरती पर जन्म लिया। उनकी माता का नाम गोणिका था। वे व्याकरण महाभाष्य के रचयिता हैं। उन्हें ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति कोडर झील के किनारे बैठ कर हुई थी। शेषावतार माने जाने वाले पतंजलि त्रिजट ब्राह्मण थे। विद्वानों के अनुसार ,सूत्रकार ,वृत्तिकार और भाष्यकार त्रिजट ब्राह्मणों की तीन जटाओं के प्रतीक है। इस संबन्ध मे पतंजलि का अनोखा ‘ भाष्य ग्रंथ ‘ विश्व मे प्रचलित हुआ lइसकी शैली सर्वथा भिन्न होने के कारण इस शैली का दूसरा कोई ग्रंथ नही है। महर्षि ने काशी के नागकुआ के पास अपनी कर्मभूमि बनायी l उन्होने अपने ग्रंथ महाभाष्य मे स्वयं को कई बार गोनर्दीय कहा है l विद्वानों ने महर्षि पतंजलि की व्याख्या करते हुये लिखा है ”पत्रन्ति अज्जलया स्मिन इति पतंजलि ”।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योगप्रणेता महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली की बदहाली पर किसी का ध्यान आकर्षित नही है। जबकि संयुक्त राष्ट्र ,यूनेस्को और भारत सरकार ने महायोगी पतंजलि का जन्मस्थान गोण्डा को, जो कि पूर्व मे गोनर्द के नाम से जाना जाता था माना है। पतंजलि के जन्मस्थान के जीर्णोंद्धार के लिये कई सरकारों मे आश्वासन तो दिया गया लेकिन अभी तक यहाँ किसी प्रकार के विकास या जीर्णोंद्धार की कोई घोषणा का पहल तक नही हो सकी। कोडर गांव मे स्थित झील की हालत बदतर है। यहाँ दूर दराज से आने वाले आगंतुकों के लिये कोई आश्रम या धर्मशाला ,स्वास्थ ,के लिये कोई सुविधा नहीं है। शुद्ध पेयजल, विद्युत ,खानपान व अन्य तमाम संसाधनों का नामों निशान तक नहीं है ।
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