ये है जिला अस्पताल का दवा भंडार जहां से अस्पताल में दवा की सप्लाई होती है।अस्पताल से दवाओं के स्टॉक के मुताबिक ऑनलाइन दवाओं का इंडेंट दवा फर्मो को भेजा जाता है जिसके आधार पर एक माह के अंदर दवा की सप्लाई अस्पताल में करना होता है। यदि इस बीच सप्लाई नही होती है तो 45 दिन में पुनः रिमाइंडर भेजा जाता है। अस्पताल के चीफ फार्मेसिस्ट एसपी सिंह ने स्वीकार किया कि दो माह से 60 दवाओं की सप्लाई नही हुई है रिमाइंडर भेजा जा रहा है इसमें एक दर्जन दवाएं जीवन रक्षक हैं। इन 60 दवाओं में 10-12 दवाएं समाप्त हो चुकी हैं। शेष दवाएं 15-20 दिन में समाप्त हो जाएंगी।
एसपी सिंह चीफ फार्मेसिस्ट जिला अस्पताल गोंण्डा
ये जिला अस्पताल है जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। डाक्टरों की कमी के कारण घंटो लाइन लगाकर दवा लेते हैं। जिला अस्पताल के मुख्य दवा केंद्र में एआरबी ,DNS, एन टी बायटिक, सीपोपैराजोंन, ऐंमिकासिंग एंटी बायटिक, जेंटामाईसिन, हाइड्रो कैटसोन, डेका डरान, सिप्रो फ्लासिक्स, ओफलाक्सा सिन, बच्चों की पीसीएम, डेरा फाइलिन इंजेक्सन ये सभी जीवन रक्षक दवाएं है जो 10-15 दिन में समाप्त हो जाएगा। अस्पताल से किसी भी दवा का इंडेंट देने पर एक से दो माह तक दवा सप्लाई में लग जाता है। ऐसे में दवा के न आने और इंडेंट भेजने के बाद दवा आने पर भारी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर अजीत जयसवाल ने बताया कि फर्मों के सप्लाई न करने के कारण जो दवाएं समाप्त हो गयी हैं। उन्हें बाजार से लोकल परचेज कर उपलब्ध कराया जा रहा है और दवा सप्लाई न करने वाली फर्मो की लिखित शिकायत शासन को भेजी जा रही है।