कहां का है मामला और क्या है कहानी- जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट परिसर में पीड़ित परिवार आमरण अनशन पर बैठकर प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं। मामला थाना कोतवाली देहात के मलारी गाँव का है। जहाँ आज से सात महीने पूर्व गाँव के ही दबंगों ने बुआ के घर से जा रही नाबालिग बच्ची का अपहरण कर एक कमरे में बंद कर दिया और रात्रि में बोलेरो से लखीमपुर पहुंचा दिया। ये हमारा नहीं, पीड़ित बालिका का कहना है। इस बीच परिवार पुलिस थानों के चक्कर काट रहा था, लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी, 14 अप्रैल को अपरहित बालिका के परिजनों की तहरीर पर 22 अक्टूबर को चार लोगों को नामजड़कर रिपोर्ट दर्ज होने पर दस दिन के बाद (अपहरण के 6 माह बाद) गोण्डा लाया गया। जिसमें लखीमपुर के एक अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। पीड़िता की माँ ने बताया कि छः महीने तक अपहरणकर्ताओं ने मेरी बेटी को रखा रहा। जब मैंने एफआईआर लिखवाई तब जा कर मेरी बेटी बरामद हुई।लेकिन अपहरणकर्ताओं को पुलिस गिरफ्तार नही कर रही तो पूरे परिवार के साथ आमरण अनसन पर बैठना पड़ा है।
अपर पुलिस अधीक्षक हृदेश कुमार ने बताया कि हमने अभी इस संबंध में जानकारी ली है। मामला थाना कोतवाली देहात का है। यह बच्ची अप्रेल से अपने घर से गायब हुई थी। इसके संरक्षकों ने अक्टूबर में मुक़दमा दर्ज कराया और जिन लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया, उनसे उनका जमीनी विवाद चल रहा है। जांच शुरू होने के बाद जो लड़का इस बच्ची को लेकर गया था, उसको पकड़ कर जेल भेज दिया गया है। और अभी जांच चल रही है। और अगर किसी अन्य का इसमें हाथ मिलता है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होगी। इसकी गंभीरता से जांच करायी जा रही है।