वहीं घाघरा खतरे के निशान से करीब डेढ़ मीटर ऊपर पहुंच गई है। घाघरा में छोड़े गये विभिन्न बैराजों से दो बार पानी ने करनैलगंज क्षेत्र में भीषण तबाही हुई है। देखते ही देखते एक के बाद एक गांव एवं मजरे बाढ़ की चपेट में आते गये हैं। एक तरफ ग्राम नकहरा के पास के पास से घाघरा का पानी धारा को मोड कर करनैलगंज की ओर बह रहा है तो दूसरी ओर बांसगावं के पास कटे तटबंध से पानी का बहाव करनैलगंज की ओर ही हो गया है। जिससे अब सरयू नदी में पानी बढ़ना शुरु हो गया है। जो गांव अभी तक बाढ़ से सुरक्षित माने जा रहे थे उन गावों में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। जिनके जरिये पानी अब जरवल रोड़ के किनारे बसे गावों के साथ ही गोंडा-लखनऊ मार्ग के किनारे बसे गावों में भर गया है। जिससे चचरी पाल्हापुर से लेकर चरसडी शाहपुर तक के सभी मार्ग जलभराव के चलते बंद हो चुके हैं।
मांझा क्षेत्र के करीब 400 से अधिक मजरों का सम्पर्क मार्ग से कट चुका है। अकेले करनैलगंज तहसील क्षेत्र के करीब 70 ग्राम पंचायतों के 605 से अधिक मजरे बाढ़ की जद में हैं। इसके अलावा सीमा पर बसे बाराबंकी जिले की 9 ग्राम पंचायतों के 66 मजरे बाढ़ से बुरी तरह घिर गये हैं। ऐसे में एनडीआरएफ पूरी मुस्तैदी के साथ बाढ प्रभावित लोगो के मदद मे जुट गयी है उसे बाढ़ के पानी के तेज बहाव के कारण जद में आने वाले गांवों को चाहे खाली कराना हो या फिर बाढ़ में से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना हो सबका सहयोग कर रहा है। एनडीआरएफ कि तीन टीमें काम कर रही हैं। पानी से घिरे गांवों में लोगों के खाने के लाले पड़ें हैं।