विद्यालय की प्रधानाध्यापिका दिव्यांशी श्रीवास्तव से जब इस कमी का कारण पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि बिजली के लिए प्राथना पत्र फरवरी में ही दे दिया गया था लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि अगर विद्यालय में बिजली व्यवस्था हो जाए, तो इसे स्मार्ट कक्षा बनाए जाने का प्रयास किया जाएगा।
बिजली के लिए तरसते बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चे तो जैसे हवा और बिजली के लिए तरस गए हैं। उन्होंने बताया कि वे अकसर अपने शिक्षक से कहते हैं कि गांव में ो बिजली है लेकिन विद्यालय में नहीं है। इससे उनका पढ़ने में मन भी नहीं लगता है। अधिक गर्मी होने के कारण बच्चे कक्षा के बाहर बैठ कर पढ़ाई करते हैं। हवा चलती है, तो कुछ राहत जरूर मिलती है लेकिन गर्मी और धूप का प्रकोप इतना ज्यादा होता है कि कुछ पता ही नहीं लगता।
शौचालय निर्माण भी अधूरा प्राथमिक विद्यालय भौरुपुर बकठोरवा मौजे में बने इस विद्यालय में शौचालय निर्माण भी अधूरा है। शौच के लिए बच्चों को बाहर जाना पड़ता है। शौचालय का निर्माण यहां पर सालों से अधूरा पड़ा हुआ है। अध्यापिका ने बताया कि इस बात की शिकायत प्रधान से की गयी, तो बजट का अभाव बता कर बात ही पलट दी। उन्होंने मदद करने से इंकार कर दिया।