गोंडा जनपद में एड्स जांच केंद्र खुलने के करीब 15 सालों में अब तक हुई जांच में जनपद में कुल 3581 मरीज जांच के दौरान पॉजिटिव पाए गए। इनमें से 1450 मरीज अभी अस्पताल से दवा ले रहे हैं। जबकि 350 मरीजों की मौत हो चुकी है।
एड्स जागरूकता रैली निकालते स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और अन्य
एड्स एक लाइलाज बीमारी है। अशिक्षा और गरीबी के कारण लोग अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए अक्सर प्रदेश कमाने चले जाते हैं। वहां पर तमाम कारणों के चलते लोग इस बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। लेकिन उन्हें इसकी जानकारी बहुत दिनों तक नहीं हो पाती है। जब उन्हें अन्य तमाम रोग सताने लगते हैं। तब उन्हें जांच के दौरान इस बीमारी का पता चला है। आंकड़ों पर गौर करें तो गोंडा में जब से एड्स की जांच शुरू हुई। तब से आज तक कुल 3581 रोगी पाए गए हैं। इनमें 1450 रोगी अब भी अस्पताल से दवा ले जाते हैं। 1131 रोगियों ने परदेस कमाने के उद्देश्य से या फिर किसी अन्य कारण से दूसरे अस्पतालों से दवा लेने के लिए अपना स्थानांतरण करवा लिया। इनमें करीब 350 रोगियों की एड्स या अन्य रोगों के कारण मौत हो चुकी है। वर्तमान समय में करीब 780 रोगी परदेस में रहकर वहीं से दवा ले रहे हैं। तथा रोजी-रोटी के चक्कर में मजदूरी कर रहे हैं।
एड्स जांच केंद्र IMAGE CREDIT: Patrika original एड्स छुआछूत बीमारी नहीं, ऐसे में रोगी से ना बनाएं दूरी एड्स को लेकर विभाग द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। गांव-गांव में गोष्ठी कर इस लाइलाज बीमारी से बचने के तरीके बताए जाते हैं।
कहा गया कि एड्स एक जानलेवा बीमारी है। ऐसे में जागरूकता के आधार पर ही इस पर अंकुश पाया जा सकता है। आह्वान किया गया कि एड्स छुआछूत की बीमारी नहीं है। ऐसे में एड्स रोगी से दूरी न बनाएं।
एड्स जागरूकता के लिए चला हस्ताक्षर अभियान IMAGE CREDIT: वर्ष 2022 के 11 महीने में मिले 61 मरीज 20 फरवरी 2014 से अक्टूबर 2018 तक जिले में कुल 2361 मरीज सामने आए हैं। इस वित्तीय सत्र 2022 में 11 माह के भीतर अब तक 61 नए मरीज निकल कर आए हैं।
एड्स जांच केंद्र पर तैनात काउंसलर काशी वर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में अस्पताल से अब तक 3581 मरीजों में से 1450 मरीजों को दवा दी जा रही है। जबकि कुछ मरीजों की इनमें से मौत हो गई है। अधिकांश मरीजों ने अलग-अलग जनपदों में अपना स्थानांतरण करा लिया है। वह वहां से दवा ले रहे है। यहां से ट्रांसफर कराने के विषय में जब मरीजों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि वह रोजी-रोटी की तलाश में प्रदेश में काम करते हैं। इसलिए उन्हें यहां से दवा लेने में दिक्कत होती है।