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विकास की नई दरों से भरा गोंडा का नया साल, डॉ. दीपेन और सर्वेश बने लोगों के रोल मॉडल

locationगोंडाPublished: Jan 01, 2020 06:33:49 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– अमेरिका मैं तैनात मैकेनिकल इंजीनियर जगा रहा संस्कृत शिक्षा की अलख- डॉ. दीपेन बने रोल मॉडल, अब डॉलर, दीनार और रियाल कमा रहे गोंडा के लोग

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गोंडा. नया साल गोंडा जिले के लोगों के लिए नई खुशियों को लेकर आया है। जिले के दो लोगों ने अपने शहर को विकास के नाम पर नए साल का बड़ा तोहफा दिया है। अमेरिका में काम करने वाले गोंडा जिले के ऐसे ही दो शख्स हैं, जिन्होंने अपने शहर को विकास की नई राह पर ले जाने के लिए खुद से किए संकल्प को पूरा किया। यह नया साल गोंडा शहरवासियों के लिए खुशियों की सौगात लेकर आया है। जिले के सर्वेश तिवारी और डॉ. दीपेन सिन्हा अपने क्षेत्र के लोगों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। मैकैनिकल इंजीनियर सर्वेश तिवारी की ‘सर्वांगीणम संस्कार शाला’ 60 बच्चों को संस्कृत की शिक्षा देती है, तो वहीं डॉ. दीपेन सिन्हा ने गरीब तबके के लोगों के सपनों में नए पंख लगा दिए हैं। कभी दाने-दाने को मोहताज रहा गोंडा इस नए साल में विकास के जश्न में डूबा है।
शिक्षा से जगायी उम्मीद

जिले के मुजेहना ब्लॉक के विशम्भरपुर गांव में रहने वाले सर्वेश तिवारी अमेरिका में पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। विदेश में कार्य करने के बाद भी उनके मन में अपनी संस्कृति के प्रति बहुत लगाव है। उन्हें यह बात अखरती थी कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में संस्कृत भाषा खोने के साथ-साथ संस्कार का भी हनन हो रहा है। सर्वेश का मानना है कि संस्कारिक शिक्षा का हनन होने के कारण समाज में तमाम कुरीतियां फैल रहीं हैं। ऐसे में संस्कृत और संस्कार को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सर्वांगीणम संस्कार शाला नाम के संस्था के माध्यम से गुरुकुल जैसी शिक्षा देने का बीणा उठाया। आज उनके संस्थान में करीब 60 बच्चे संस्कृत की शिक्षा लेते हैं।
विकास की नई दरों से भरा गोंडा का नया साल, डॉ. दीपेन और सर्वेश बने लोगों के रोल मॉडल
बच्चों को मिले वेदों का ज्ञान

सर्वेश ने बताया कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संस्कार का ह्रास हो रहा है। तमाम ऐसे अभिभावक हैं जिनकी इच्छा होती है कि वह अपने बच्चो में देश की संस्कृति, सभ्यता व वेदों का ज्ञान दे सकें। फिर भी तमाम अव्यवस्था के चलते वह ऐसा नहीं कर पाते हैं। इस संस्कार शाला ने 9 से 14 वर्ष की आयु के बच्चे हैं जिन्हें सप्ताह के दो बड़े शिविर चला कर पूर्ण गुरुकुल जैसी शिक्षा दी जाती है। ‘मनसा, वाचा, कर्मणा’ (मन, वाणी और हमारे कर्म) के सिद्धांत के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाता है। साथ ही विद्यार्थियों को उन विषयों के बारे में भी पढ़ाया जाता है, जिससे उनकी संस्कृति का ज्ञान बढ़े।
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विदेशी मुद्रा की होती है बारिश

गोंडा जिले के ही एक और ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने अपने शहर का नाम रोशन किया है। कभी दाने-दाने के मोहताज रहे गोंडा के वजीरगंज क्षेत्र के लोग पैसों की खनक सुनने के लिए तरसते थे। लेकिन अब इनकी उंगलियां डॉलर, दीनार, येन और रियाल पर नाचती हैं। यहां विदेशी मुद्रा की ऐसी बारिश होती है कि कभी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग अब पक्के मकानों में रहने लगे हैं। गरीब तबके के लोगों के सपनों को डॉ. दीपेन सिन्हा ने पंख लगा दिए हैं।
विकास की नई दरों से भरा गोंडा का नया साल, डॉ. दीपेन और सर्वेश बने लोगों के रोल मॉडल
पेशे से सोशल इंजीनियर डॉ. दीपेन सिन्हा की अमेरिका के न्यू जर्सी में खुद की कंपनी है। इससे पहले वह न्यू जर्सी स्थित एक सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत थे। नौकरी करने के दौरान ही वह अपने इलाके के कई लोगों को कोलंबो, सिंगापुर, इंडोनेशिया, आदि देशों में भेजने में कार्यरत थे। आज स्थिति यह है कि वजीरगंज के 200 से अधिक लोगों ने जीविकोपार्जन के लिए सात समंदर पार के देशों को चुना है। जिले के कई लोग विदेशों में अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं और देश में विदेशी मुद्रा बेचकर आर्थिक बल प्रदान करने में जुटे हैं। दीपेन सिन्हा आज गोंडा क्षेत्र के रोल मॉडल बन चुके हैं। उनके प्रयासों के प्रेरित अब लोगों में अपने करियर का सिक्का विदेशों में जमाने की चाहत बढ़ रही है।
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