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कोरोना काल में छुटी ट्रक चालक की नौकरी, अब खबहा की खेती कर हो रहे मालामाल

locationगोंडाPublished: Nov 26, 2021 12:05:33 pm

Submitted by:

Mahendra Tiwari

गोंडा लहरों से डर कर नौका कभी पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, यह बात ट्रक चालक से किसान बने एक युवक ने साबित कर दिया। कोरोना काल जब ट्रक चालक की नौकरी छूट गई, कुछ दिनों तक भूखे प्यासे रहने के बाद परदेस से अपने घर किसी तरह पहुंचे युवक ने यह ठान लिया कि वह अब कभी भी परदेस नहीं जाएगा। अपने मन में कुछ अलग करने का सपना सजोए संतोष के पास खेती करने के लिए पूंजी का भी अभाव था। फिर उसने बहुत थोड़ी पूंजी से पेठा फल (खबहा) की खेती का काम शुरू किया।

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दिल्ली के जिस आजादपुर मंडी में ट्रक चालक की नौकरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। वहां अब व्यापारियों के अन्नदाता बन एक मिसाल पेश कर दी। उनके इस मेहनत व जुनून को देखकर आसपास के कई किसान अब पेठा फल की खेती करने का मन बना रहे हैं।
कौड़िया थाना के गांव भैरमपुर निवासी संतोष दिल्ली के आजादपुर मंडी में रहकर एक बड़े व्यापारी के यहां ट्रक चलाकर किसानों के खेतों से सब्जी ढोने का काम करते थे। कोरोना संक्रमण काल मैं जब मंडियां सुनी पड़ गई। तो कुछ दिनों तक इधर-उधर दिहाड़ी की मजदूरी करने के बाद मायूस होकर अपने घर लौट आए। यहां पहुंचने के बाद संतोष को बीते दिनों की एक बात याद आई। एक बार वह आगरा से एक किसान के यहां से गाड़ी लेकर पेठा फल की लोडिंग करने गए थे। संतोष बताते हैं की एक बीघा खेत में 90 कुंतल पेठा फल निकला। इतना अधिक उत्पादन देख वह दंग रह गए। उनका कहना था कि उस समय मंडी में 16 सो रुपए प्रति कुंतल की दर से व्यापारी खरीद रहे थे। जिसमें 400 रु प्रति कुंतल खर्चा आ जाता था। किसान को 1200 रुपए प्रति कुंतल बचता था। इस तरह उस किसान को एक बीघा में 1 लाख 8 हजार रुपए मिले उसके बाद हमने जी घर पहुंच कर इसकी खेती करने का मन बनाया। इधर चालक की नौकरी भी छूट गई। फिर हमने इसे बोने का फैसला किया। वे फैजाबाद जनपद से एक हेक्टर खबहा बोने के लिए 5 हजार रुपए प्रति किलो के हिसाब से 600 ग्राम बीज मंगाया। उसके बाद मई के अंतिम सप्ताह में इसकी बुवाई कर दी।

मई-जून या फिर जनवरी-फरवरी के दिनों में ऐसे की जाती बुवाई

संतोष बताते हैं कि इसकी बुआई करने के लिए यदि मई-जून में बुवाई करना है। तो प्रत्येक 5 फिट पर गड्ढे खोद उसमें शुद्ध गोबर की खाद भर दी जाती है। जबकि पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2 मीटर होती है। फिर इन गड्ढों में पानी की फुहारे देकर हम बेहतर नहीं बनाने के बाद बीज को वो देते हैं। यदि हमें जनवरी या फरवरी के प्रथम सप्ताह इसकी बुवाई सबसे उत्तम मानी जाती है। इस माह में हम इसे नालिया बनाकर बोते हैं। जनवरी में बुवाई करने से बहुत ही बेहतर उत्पादन होता है। यहां तक की 12 सौ कुंतल प्रति हेक्टर तक हो जाता है। बताते हैं की 5 हजार रुपए प्रति किलो इसकी बीज मिलती है। एक हेक्टर खेत की बुवाई करने के लिए 6 सौ ग्राम बीज लगती है। पौधे निकल आने के बाद हम उसे कीट से बचाने के लिए 15 दिनों में एक बार कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते हैं। फसल तैयार है
इनका कहना है कि वह अपनी खबहा की फसल को सीधे आजादपुर मंडी में आढ़तियों के हाथ बेचेंगे वैसे तो रेट हमेशा घटा बढ़ करता है। वहां पर 12 सौ रुपए प्रति कुंतल से लेकर अट्ठारह की दर से बिकता है।

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