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krishna janmashtami 2018 : जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की ऐसे करें पूजा, मिलेगी सारे पापों से मुक्ति

locationगोंडाPublished: Sep 03, 2018 11:12:28 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

krishna janmashtami 2018 : जो व्यक्ति जन्माष्टमी के व्रत रखता है वह ऐश्वर्य और मुक्ति को प्राप्त करता है और उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
 

krishna janmashtami 2018 vrat puja vidhi and mahatva

krishna janmashtami 2018 : जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की ऐसे करें पूजा, मिलेगी सारे पापों से मुक्ति

गोंडा. उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। गोंडा निवासी पंडित दिलीप दुवे ने बताया है कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सभी लोग भगवान कृष्ण प्रसन्न करने के लिए उपवास रखें और पूरी भक्ति के साथ भगवान कृष्ण की पूजा करें। जिससे आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकें और सारे कष्टों से मुक्ति भी मिल सके।

इसके साथ ही कहा कि जो व्यक्ति जन्माष्टमी के व्रत रखता है वह ऐश्वर्य और मुक्ति को प्राप्त करता है और उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। आयु, कीर्ति, यश, लाभ, पुत्र व पौत्र को प्राप्त कर इसी जन्म में सभी प्रकार के सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्ति भी होती हैं। जो मनुष्य भक्तिभाव से कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा को सुनते हैं, उनके अपने जीवन में किए गए सारे पाप खत्म हो जाते हैं और उनके जीवन में खुशियों की एक अच्छी शुरूआत होती है।

मथुरा के कारागार में हुआ था कृष्ण का जन्म

कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन पड़ती है। भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात को रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जब मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। तभी से उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में कृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव मनाने की परम्परा की शुरूआत हुई थी। इसीलिए आज भी कृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती हैं।

ऐसे करें पूजा

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन दीपक जलाकर भगवान कृष्ण की पूजा के लिए आरती तैयार कर लें इसके बाद भगवान कृष्ण को आसन पर बैठाकर आवाहन करके जल, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद भगवान को वस्त्रादि पहनाकर कुमकुम, हल्दी, चावल, सिन्दूर, गुलाल आदि से पूजन करें, फिर फूलमाला पहनाएं व धूप – दीप जलाकर आरती करें और फिर भोग लगाएं। पूजन करने के बाद भगवान को झूले में बैठा दें। रात्रि 12 बजे तक कीर्तन, भजन या जाप करें। रात्रि ठीक 12 बजे पुन: श्रृंगार करके आरती करें, इससे आपको अनन्य फल की प्राप्ति होगी

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