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योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली का 464 करोड़ होगा पर्यटन विकास, पर्यटकों को मिलेगी ये सुविधाएं

locationगोंडाPublished: Nov 26, 2022 08:28:10 pm

Submitted by:

Mahendra Tiwari

दुनिया को सबसे पहले योग जैसी विधा का दर्शन कराने वाली महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली का 464 करोड़ की लागत से पर्यटन विकास किया जाएगा। जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को काफी सुविधा मिलेगी।

योग के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि

योग के जनक महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि

तरबगंज विधायक प्रेम नारायण पांडे के प्रस्ताव को शासन से मंजूरी मिलने के बाद प्रमुख सचिव पर्यटन ने लोक निर्माण विभाग से स्टीमेट मांगा था। जिस पर लोक निर्माण विभाग ने 464 करोड रुपए का प्रारंभिक स्टीमेट बनाकर पर्यटन विभाग को सौंप दिया है। आगणन रिपोर्ट भेजे जाने के बाद महर्षि पतंजलि जन्मस्थली के विकास की उम्मीद जगी है।
धार्मिक ग्रंथ महाभाष्य में महर्षि पतंजलि का जन्म स्थान कोडर का उल्लेख मिलता

महर्षि पतंजलि का जन्म 200 ईसा पूर्व गोंडा जनपद के वजीरगंज कस्बा के निकट कोडर गांव में हुआ था। इसका उल्लेख महाभाष्य में मिलता है। महर्षि पतंजलि काशी से व्याकरण की विद्या सीखने के बाद अपने शिष्यों को पर्दे के पीछे से योग की शिक्षा देते थे। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी शिष्य ने उनका चेहरा नहीं देखा था। एक दिन किसी शिष्य ने पर्दा उठा कर देखा तो महर्षि पतंजलि शेषनाग का अवतार होकर झील में चले गए। यही कारण है कि कोडर झील का आकार सर्पाकार है।
कोडर झील
कोडर झील IMAGE CREDIT: Patrika original
महर्षि पतंजलि के जन्म स्थान पर एक छोटा सा मंदिर और चबूतरा मौजूद

कोडर झील के तट पर महर्षि पतंजलि के जन्म स्थान पर एक छोटा सा मंदिर और एक चबूतरा आज भी विद्यमान है।महर्षि पतंजलि अपने तीन प्रमुख कार्यो के लिए आज भी विख्यात हैं व्याकरण की पुस्तक महाभाष्य, पाणिनि अष्टाध्यायी व योगशास्त्र कहा जाता है कि महर्षि पतंजलि ने महाभाष्य की रचना का काशी में नागकुआँ नामक स्थान पर इस ग्रंथ की रचना की थी। आज भी नागपंचमी के दिन इस कुंए के पास अनेक विद्वान व विद्यार्थी एकत्र होकर संस्कृत व्याकरण के संबंध में शास्त्रार्थ करते हैं। महाभाष्य व्याकरण का ग्रंथ है। परंतु इसमें साहित्य धर्म भूगोल समाज रहन सहन से संबंधित तथ्य मिलते है। मंदिर के नाम पर बीघा सवा दो बीघा जमीन है। इस पर भी कई जगहों पर अतिक्रमण है। यहाँ के पुजारी रमेश दास इस मंदिर की देख रेख व पूजा पाठ करते हैं। यहां पर दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर यहां पर एक भव्य कार्यक्रम होता है।
पर्यटकों के लिए धर्मशाला अन्य तमाम सुविधाओं का होगा विकास

मंदिर प्रांगण में पर्यटकों के रहने के लिए धर्मशाला नदी के तट पर पक्का घाट का निर्माण मंदिर तक जाने के लिए सीसी रोड तथा प्रकाश व्यवस्था के समुचित प्रबंध किए जाएंगे। सुंदरीकरण के तहत मंदिर के चारों तरफ बाउंड्री वाल मंदिर का जीर्णोद्धार और सोलर लाइट कार्य योजना में शामिल है।
महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि पर मंदिर के पुजारी से बात करते सांसद बृजभूषण सिंह
महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि पर मंदिर के पुजारी से बात करते सांसद बृजभूषण सिंह IMAGE CREDIT: Patrika original
तीन दिनों पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह ने जन्मस्थली उपेक्षित होने का लगाया था आरोप

कुश्ती संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली पर पहुंचकर इसकी उपेक्षा देखकर खुद अपनी गलती स्वीकार किया था। उसके बाद महर्षि पतंजलि के नाम पर अरबों का व्यवसाय करने वाले बाबा रामदेव पर निशाना साधा था। तरबगंज विधायक प्रेम नारायण पांडे ने पूर्व में ही इसके विकास के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। पर्यटन विभाग के सचिव ने लोक निर्माण विभाग से स्टीमेट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे जिस पर लोक निर्माण विभाग ने 464 करोड़ का स्टीमेट शासन को भेज दिया है।
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