मुख्यालय पर नकल विहीन परीक्षा के लिये प्रशासन ने कमर कस लिया है। इससे आतंकित मां फातिमा मेमोरियल इंटर कॉलेज में वैसे 43 परीक्षार्थीयों को कस्तूरबा बालिका रेलवे इंटर कॉलेज में परीक्षा देनी थी, लेकिन परीक्षा के प्रथम दिन ही 43 में से केवल एक परीक्षार्थी ही एग्जाम दे रहा है। कॉलेज की प्राचार्य उषा शुक्ला ने बताया कि यहां 43 बच्चे थे, जिसमें 3 ही परीक्षा दे रहे हैं, जबकि 40 बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी है।
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि कहा कि मां फातिमा मेमोरियल इंटर कॉलेज में नकल का टेंडर होता था। ये दुखद है। आश्चर्य होता है कि इस विद्यालय में केवल एक बच्चा ही परीक्षा दे रहा है।
वीडियो में देखें- क्या बोलीं कॉलेज की प्राचार्या… पीएम मोदी भी कह चुके हैं नकल की बात
गोंडा जिला नकल के ठेकेदारी के नाम से काफी प्रसिद्धि पा चुका है। लोकसभा चुनाव के दौरान स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मंच से जिले में नकल के टेंडर की बात कह चुके हैं। इसका प्रभाव यह रहा कि पिछले बोर्ड की परीक्षा में नकल रोकने में काफी कामयाबी मिली, लेकिन पूरी तरह से नकल बन्द नहीं हुआ।
गोंडा जिला नकल के ठेकेदारी के नाम से काफी प्रसिद्धि पा चुका है। लोकसभा चुनाव के दौरान स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मंच से जिले में नकल के टेंडर की बात कह चुके हैं। इसका प्रभाव यह रहा कि पिछले बोर्ड की परीक्षा में नकल रोकने में काफी कामयाबी मिली, लेकिन पूरी तरह से नकल बन्द नहीं हुआ।
कैसे होता नकल का टेंडर
होता यह है कि टेंडरिंग का कार्य परीक्षा केंद्र बनाने से ही शुरू हो जाता है। जिलाविद्यालय निरीक्षक कार्यालय में बैठे एक से एक घाघ बाबू केंद्र बनाने की पूरी रणनीति तय करते और केंद्र बनाने के नाम पर लाखों रुपये की वसूली कर केंद्र बना देते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ सख्ती के बावजूद जमकर वसूली की गई और पैसा न देने वाले विद्यालयों को केंद्र बनाने से वंचित कर दिया गया। इसकी शिकायत भी की गई, जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक आर के वर्मा अपने सीधा पन के कारण कार्यवाई के जद में आ गये।
होता यह है कि टेंडरिंग का कार्य परीक्षा केंद्र बनाने से ही शुरू हो जाता है। जिलाविद्यालय निरीक्षक कार्यालय में बैठे एक से एक घाघ बाबू केंद्र बनाने की पूरी रणनीति तय करते और केंद्र बनाने के नाम पर लाखों रुपये की वसूली कर केंद्र बना देते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ सख्ती के बावजूद जमकर वसूली की गई और पैसा न देने वाले विद्यालयों को केंद्र बनाने से वंचित कर दिया गया। इसकी शिकायत भी की गई, जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक आर के वर्मा अपने सीधा पन के कारण कार्यवाई के जद में आ गये।
क्यों देते केंद्र बनवाने के लिए पैसा
केंद्र बनवाने में दिए गए लाखों रुपये के बदले कई लाख की वसूली परीक्षार्थियों से करते हैं। नकल के लिए बदनाम स्कूल संचालकों को बाकायदा रेट रहता था जैसे प्रथम श्रेणी के लिए बीस हजार,द्वितीय के लिये 15 हजार तीसरे के लिए 10 हजार और परीक्षा देने के लिए 5 हजार राइटर लेने के लिए 25 हजार भुगतान देना होता था।
केंद्र बनवाने में दिए गए लाखों रुपये के बदले कई लाख की वसूली परीक्षार्थियों से करते हैं। नकल के लिए बदनाम स्कूल संचालकों को बाकायदा रेट रहता था जैसे प्रथम श्रेणी के लिए बीस हजार,द्वितीय के लिये 15 हजार तीसरे के लिए 10 हजार और परीक्षा देने के लिए 5 हजार राइटर लेने के लिए 25 हजार भुगतान देना होता था।