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जब बेटियां अधिकारी व न्यायिक मजिस्ट्रेट बन सुनाया फैसला, दंग रह गए लोग

locationगोंडाPublished: Jan 24, 2022 07:33:21 pm

Submitted by:

Mahendra Tiwari

गोंडा राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत महिला कल्याण विभाग द्वारा एक अनूठी पहल करते हुए बालिकाओं को अधिकारी व न्यायिक मजिस्ट्रेट बनाया गया। बालिकाओं ने अधिकारी की कुर्सी पर बैठकर लोगों की समस्याएं सुनी तथा उसका त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए।

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सुहानी प्रोबेशन अधिकारी तो मुस्कान बनी न्यायिक मजिस्ट्रेट

केंद्रीय विद्यालय रेलवे कॉलोनी की 10 की छात्रा सुहानी पांडे को जिला प्रोबेशन अधिकारी बनाया गया। उन्होंने जिला प्रोबेशन अधिकारी बनाए जाने पर कार्यालय की फाइलों का जायजा लिया तथा उसके निस्तारण के निर्देश दिए। जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने बालिकाओं को उत्साहित करते हुए कहा कि वह अपना लक्ष्य तय कर उसकी प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास करते रहे। उन्होंने कहा कि वह अपने भविष्य के निर्माता स्वयं बने। उन्होंने बालिकाओं को लक्ष्य की प्राप्ति करने, कठिन परिस्थिति से लड़ने व समाज में अपनी पहचान बनाने के टिप्स दिए। जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी गौरव स्वर्णकार ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में विस्तृत से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पढ़ाई की कोई सीमा नहीं होती है, पढ़ाई से ही बड़े से बड़े लक्ष्य और बड़ी से बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है। वहीं न्याय पीठ बाल कल्याण समिति में बालिकाओं को न्यायिक मजिस्ट्रेट बनाया गया। अध्यक्ष के रूप में एम्स इंटरनेशनल की 11वीं की छात्रा मुस्कान दूबे व सदस्य के रूप में मानसी दूबे, शिवानी पांडे व सृष्टि पांडे के समक्ष रेलवे चाइल्ड लाइन द्वारा लावारिस हाल में मिले बालक को प्रस्तुत किया गया, जिस पर कार्रवाई करते हुए मुस्कान दूबे ने स्टेनो मनोज उपाध्याय को आदेशित किया कि नियमानुसार कार्यवाही करते हुए बालक को उसके माता-पिता के सुपुर्दगी में दें। न्याय पीठ के अध्यक्ष व सदस्यों ने बालिकाओं से कहा कि वह मेहनत करके पढ़ाई करें और सरकारी सेवा में जोड़कर देश की सेवा करें। इसी क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव कृष्ण प्रताप सिंह ने बालिकाओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा किया। उन्होंने बालिकाओं, बच्चों व आमजनों के हित में काम करने का बेहतर ढंग का गुर बताएं तथा उनको शुभकामनाएं दी। सुहानी द्वारा पूछा गया कि लावारिस मिले बालकों के परिजनों के न मिलने पर क्या कार्रवाई की जाती है, जिस पर सचिव द्वारा बताया गया कि ऐसे बच्चे को संस्था में संरक्षित किया जाता है। परिजनों की खोजबीन के बाद सुपुर्द कर दिया जाता है।

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