शहर में कोई भूखा ना सो जाए, इसलिए देर रात्रि तक गरीबों को खोज- खोज कर खिलाते भोजन
गोंडाPublished: Dec 31, 2021 02:19:39 pm
गोंडा विषम परिस्थितियां कभी-कभी इंसान के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाती है। युवा सोच के संस्थापक कुछ ऐसी ही व्यथा के मिसाल है। बेरोजगारी के दिनों में रिक्शा चालकों ने मिलकर उनका भोजन ही नहीं चलाया। बल्कि शहर में कहीं इंटरव्यू के लिए जाना होता था तो वह लोग अपने रिक्शे से वहां तक पहुंचाते भी थे। इन्हें अब वह लोग नहीं मिलते तो उनके समाज के डेढ़ सौ से लेकर दो सौ लोगों को प्रतिदिन चौराहे गली मोहल्लों रिक्शा स्टैंड पर जाकर भोजन कराते हैं।


मूलत: प्रतापगढ़ जनपद के निवासी अनिल सिंह वर्तमान में गोंडा के एक नर्सिंग कॉलेज के प्राचार्य के पद में तैनात है। ग्वालियर के एक कॉलेज से एमएससी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद सायकोलॉजी में शोध कर रहे हैं। वर्ष 2013 में परिवार के किसी सदस्य की बात इन्हें चुभ गई तो वह घर छोड़कर लखनऊ चले आए। नौकरी की तलाश में दिनभर भटकते शाम को डालीगंज स्थित आश्रय गृह में रात बिताते वहां पर रात काटने के लिए तमाम रिक्शा चालक मजदूर भी ठहरते थे। अनिल सिंह बताते हैं कि वह सब आपस में बात किए कि यह लड़का किसी बड़े खानदान का है लेकिन आज मुसीबत का मारा है। हम लोगों को इसकी मदद करनी चाहिए। फिर दूसरे दिन से वह लोग इनके भोजन की व्यवस्था करने लगे यहां तक की बिना इनको खिलाएं वे लोग खुद भोजन नहीं करते थे। कुछ दिनों बाद इन्हें लखनऊ के एक गैर सरकारी मेडिकल कॉलेज में नरसिंह शिक्षक के रूप में तैनाती मिल गई। वहां कुछ दिनों तक नौकरी करने के बाद एक दूसरे प्रतिष्ठित अस्पताल में मैनेजर के पद पर तैनात हो गए। बाद में किसी मित्र के माध्यम से गोंडा पहुंचे तो यहां पर स्थाई निवास बनाकर रहने लगे।