इटियाथोक थानाक्षेत्र के गांधी चबूतरा गांव में एक दलित परिवार के नाबालिग युवक द्वारा अनजाने में आवेश में आकर ईंट से प्रहार करने से एक पालतू गौवंश की मौत हो गयी थी, जिसके प्रायश्चित के लिए उसे स्वयं के बराबर तुलादान करना पड़ा। ऐसा करने के लिए उसे ग्रामीणों को बाध्य किया गया।
…और मर गई बछिया
पीड़ित परिवार के गृहस्वामी अशोक ने बताया कि उसका 10 वर्षीय बेटा रोहित अपने घर पर पालतू बछिया (गौवंश) को चारा खिला रहा था, तभी अचानक बछिया ने उसे सींग मार दिया। इससे आवेश में आकर रोहित ने एक ईंट के टुकड़े से उस पर प्रहार कर दिया, जिससे मौके पर ही बछिया की मृत्यु हो गयी। इसके बाद गांववाले उस पर पाप लगने की बात कहकर बार-बार प्रताड़ना देने लगे। कहा कि पुत्र को स्नान कराकर उसी के बराबर अनाज दान करने पर पाप से मुक्ति होगी।
पीड़ित परिवार के गृहस्वामी अशोक ने बताया कि उसका 10 वर्षीय बेटा रोहित अपने घर पर पालतू बछिया (गौवंश) को चारा खिला रहा था, तभी अचानक बछिया ने उसे सींग मार दिया। इससे आवेश में आकर रोहित ने एक ईंट के टुकड़े से उस पर प्रहार कर दिया, जिससे मौके पर ही बछिया की मृत्यु हो गयी। इसके बाद गांववाले उस पर पाप लगने की बात कहकर बार-बार प्रताड़ना देने लगे। कहा कि पुत्र को स्नान कराकर उसी के बराबर अनाज दान करने पर पाप से मुक्ति होगी।
मासूम को तराजू में बिठाया और…
ग्रामीणों के कहे अनुसार रोहित को स्नान कराया गया। सड़क के किनारे लगे पेड़ से तराजू लटकाया गया और बेटे के बराबर मिट्टी, पंचमेली अनाज व अन्य सामग्री का तुलादान किया गया। इतना ही नहीं वहां मौजूद लोगों के पैर छुआकर अनजाने में की गयी गलती के लिये क्षमा मंगवायी गई।
ग्रामीणों के कहे अनुसार रोहित को स्नान कराया गया। सड़क के किनारे लगे पेड़ से तराजू लटकाया गया और बेटे के बराबर मिट्टी, पंचमेली अनाज व अन्य सामग्री का तुलादान किया गया। इतना ही नहीं वहां मौजूद लोगों के पैर छुआकर अनजाने में की गयी गलती के लिये क्षमा मंगवायी गई।
तुलादान से पाप मुक्ति का दावा
तुलादान को गांव की परम्परा बताते हुये गंगापुर के रहने वाले साई फकीर चांदबाबू ने बताया कि हत्यारी लगने के बाद पाश्चाताप के लिये उसका परिवार कई पीढ़ियों से तुलादान कराकर पाप से मुक्त कर देता है। तुलादान की सामग्री साई फकीर का परिवार स्वयं लेता है।
तुलादान को गांव की परम्परा बताते हुये गंगापुर के रहने वाले साई फकीर चांदबाबू ने बताया कि हत्यारी लगने के बाद पाश्चाताप के लिये उसका परिवार कई पीढ़ियों से तुलादान कराकर पाप से मुक्त कर देता है। तुलादान की सामग्री साई फकीर का परिवार स्वयं लेता है।
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