बेसिक शिक्षाधिकारी का कहना है कि जो आवेदन पूरी जानकारी देगा उन्हें ही यूडायस कोड उपलब्ध कराया जायेगा। वहीं कुछ मदरसे के प्रबन्धकों ने विभाग पर आरोप लगाया है कि विभाग परेशान कर रहा है।
हर योजनाओं की तरह मदरसा आधुनिकीकरण की योजना को जिम्मेदार अधिकारीयों और कर्मचारियों ने पलीता लगा कर सरकारी धन का स्वंय तो बंदरबांट किया ही वहीं जो धरातल पर है ही नहीं और न ही अध्यापक ही मदरसों में पढ़ाने जाते है। विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों के भौतिक रूप से धरातलहीन प्रबंधकों की सांठ-गांठ से सरकार के पैसों को ये तिकड़ी जमकर लूटा है। जिले के दो सैकड़े मदरसा मात्र कागजों पर है और सांइस टीचरों की नियुक्ति भी मात्र कागजों में ही हैं।
मदरसो में कागजी तौर पर जिन अध्यापकों के नाम दर्शाएं गये है। सभी फर्जी रहते है। अधिकांश्ा मदरसो के नामोनिशा तक नहीं है फिर भी चल रहा है और अनुदान भी दिया जा रहा है। इस सम्बंध में अल्पसंख्यक विभाग का चार्ज लिये डिप्टी डायरेक्टर एके पाण्डे कैमरे के सामने कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।