गोंडा

शराबी पति से अलग होकर रिक्शा को अपना साथी बनाने वाली महिला को मिली बहुत बड़ी मदद, इन्होंने दिया साथ

पूनम की बेबसी देख पसीजा श्रम विभाग का दिल, मिलेगा सोलह योजनाओं का लाभ, खबरे छपने के बाद श्रम विभाग की टीम ने घर पहुंचकर दिलाया भरोसा.

गोंडाNov 17, 2018 / 06:13 pm

Abhishek Gupta

woman Rickshaw puller

गोण्डा। रिक्शा चलाकर पांच बच्चों की परवरिश करने वाली महिला की दर्द भरी दास्तां सुनकर हर किसी की आँखें नम हो गई। पत्रिका ने अपने अंक में शराबी पति को बाय-बाय करने के बाद पूनम ने रिक्शा को बनाया जीवन यापन का जरिया’ नामक शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। खबर छपने के बाद श्रम विभाग का दिल पसीजा और उपश्रमायुक्त ने श्रमविभाग की टीम को पूनम के घर भेजा। और पूनम को विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ दिलाने का भरोसा दिलाया।
मूलतः रगडगंज गांव की लिलोईकलां निवासिनी पूनम वर्मा की शादी के काफी दिनों बाद शराबी पति से रोजाना अनबन हो जाने की वजह से उसको अन्ततः अपने पति से रिश्ता तोड़ना ही पड़ा। रिश्ता टूटने के बाद पूनम अपने पांच बच्चों के साथ जनपद मुख्यालय पर विगत करीब दस वर्षों से रिक्शा चलाकर और दिहाड़ी की मजदूरी कर अपने बच्चों का भरण पोषण करती है। पूनम की मेहनत व दर्द भरी दास्तां ने हर किसी की आँखें नम दी। इस महिला को सुबह से शाम तक मुख्यालय के सड़कों पर रिक्शा चलाते देखा जा सकता है। शायद यह जिले की इकलौती महिला है जो अपने बच्चों के लिए रिक्शा चलाकर उनका पेट भरती है। सच्चाई तो यह है कि दिन प्रतिदिन इस महिला की मजबूरियां बढ़ती नजर आ रही है। वर्तमान समय में इसकी दो बेटियां शादी के योग्य हो चुकी है। दिन-रात मेहनत करने के बाद सिर्फ बच्चों की
भूख मिटाने तक का ही पैसा इस महिला को मिल पाता है। ऐसे में अन्य जरूरी खर्चे कैसे पूरे हों, यह एक बहुत बड़ा प्रश्न इसके सामने है।
बच्चों ने बयान की दास्तां-
खबरे छपने के बाद श्रम विभाग के अधिकारियों की टीम के साथ तमाम मीडियाकर्मी भी पूनम के घर पहुंचे और उसकी बेबसी की कहानी जानी। कैमरे के सामने पूनम का पूरा परिवार इतना भावुक हो गया कि प्रश्नों का जवाब देने के बजाय सब रोने लगे। आँखों में आंसू भरे पूनम की बड़ी बेटी अंजू ने बताया कि यदि हमारी माँ रिक्शा न चला रही होती तो अब तक हम लोगों की मौत भूख से हो जाती। मेरी माँ सुबह से शाम तक कठिन मेहनत कर हम लोगों का पेट भरती है। उसने रो-रो कर बताया कि पिता जी का साथ छोड़ने के बाद हम लोगों की स्थिति बहुत गम्भीर हो गई। जब मेरी माँ को और कोई रास्ता न दिखा तो वह शहर आकर किराये के मकान में रहकर रिक्शा चलाकर हम लोगों का भरण पोषण करने लगी।
उपश्रमायुक्त ने दिया मदद का आश्वासन-
पूनम के बेबसी का प्रकरण जब खबर के माध्यम से उपश्रमायुक्त शमीम अख्तर के संज्ञान में आया तो उन्होंने तत्काल अपने अधीनस्थों को पूनम के घर भेज कर उसका पंजीकरण विभाग में कराने के निर्देश दिए। एक प्रश्न के जवाब में
उन्होंने मीडिया को इस तरह की सकारात्मक खबर खोज कर लिखने के लिए धन्यवाद दिया। और कहा कि अब श्रम विभाग की सोलह योजनाओं से इसे अच्छादित किया जायेगा।
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