प्रकरण कोतवाली देहात के गांव इमलिया मिश्र से जुड़ा है। यहाँ के निवासी नेवल किशोर की पत्नी पूनम विगत 23 मई को पेट में सूजन आने पर महिला चिकित्सालय में इलाज कराने पहुंची तो पर्चा बनवाने के बाद डाक्टरों ने अल्ट्रासाउण्ड करवाया जहां जांच में आठ सप्ताह का गर्भ होने की पुष्टि की गई। जननी सुरक्षा कार्ड बनाकर छह माह तक विभिन्न प्रकार का टीकाकरण किया गया। छह माह तक डाक्टर के सम्पर्क में रहकर उसने गर्भवती होने का इलाज कराया। गत 5 सितम्बर को घबराहट होने पर जब वह पुनः महिला चिकित्सालय डाक्टर को दिखाने गई तो डाक्टर ने बताया कि पेट में बच्चा नही बल्कि पेट में ट्यूमर है।
चिकित्सकों की इस घोर लापरवाही की बात सुनकर महिला आवाक हो गई। उसने अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया कि महिला अस्पताल के डाक्टरों द्वारा उसके जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया। चूंकि प्रार्थिनी के पति दिव्यांग हैं और अस्पताल के चिकित्सकों को सुविधा शुल्क न दे पाने के कारण चिकित्सकों ने उसके जीवन के साथ खिलवाड़ किया। जिससे महिला को मानसिक रूप से आघात पहुंचा है। पत्र में महिला ने कहा है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी चिकित्सकों पर कार्यवाही करते हुए दस लाख रुपये की क्षति पूर्ति दी जाए।
इस सम्बन्ध में महिला अस्पताल के सीएमएस अरूण लाल ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आया है। इसकी जांच करायी जा रही है। विभाग में क्षतिपूर्ति देने का कोई प्रावधान नहीं है। इसमें जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी।