सीमांत जिलों में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर चोरी छिपे घर आ गए। इनके जैसे तैसे घर वापसी का दौर अभी कायम है। गोपालगंज जैसे यूपी से सटे जिले में 12 लोगों का कोरोना पॉजिटिव पाया जाना इसका खास प्रमाण है। अपुष्ट जानकारी के मुताबिक गोपालगंज समेत उत्तर बिहार और सीमांचल तथा कोसी क्षेत्र में कोरोना के इस दौर में दो लाख से अधिक प्रवासी मजदूर चोरी छिपे घर पहुंच गए। प्रशासन के पास भी इसकी भरपूर जानकारी नहीं की कितने लोग किस तरह कहां आ पहुंचे हैं।
निजी वाहनों से पहुंच रहे
लॉकडाउन में सीमाएं सील होने के बावजूद मोटरसाइकिल, साइकिल, ठेला, जुगाड़ गाड़ी, वाहनों में छिपकर और पैदल चलकर ऐसे लोगों का घर पहुंचना बना हुआ है। सहरसा, सारण, गोपालगंज और सीवान में ही करीब डेढ़ लाख लोग चोरी छिपे आ चुके हैं। सहरसा में ही करीब सात हजार मजदूर घर आ गए। रविवार को तीन बाईकों पर सवार होकर छ: मजदूर विष्णुपुर गांव पहुंचे। ये दिल्ली से यहां आ गये और सीमाएं सील होने के बावजूद इनकी रोक-टोक नहीं की गई। सुपौल में भी कोरोना की धमक से लोग सहम गए हैं। मिनी राजस्थान कहे जाने वाले सिल्क सिटी भागलपुर में कोरोना के पांच मरीज पाए जाने से दहशत फ़ैल गई है।
ट्रकों में छिपकर आ रहे घर
गोपालगंज,छपरा में तो ट्रकों और शव वाहनों में छिपकर भी मजदूर घर आ जा रहे हैं।सोमवार को रामनगर के दो मजदूर क्लर्क में छिपकर थावे पहुंच गए।इनकी जांच होने पर एक कोरोना पॉजिटिव पाया गया।इधर पूर्वी बिहार के बांका के विशुनपुर गांव के निवासी और मुंबई में रेलवे में कार्यरत दो लोग शव वाहन में सवार होकर चले आए।एक की तबीयत बिगड़ी तो अस्पताल में भर्ती किया।वह शख्स कोरोना पॉजिटिव निकला है।
सर्वे का काम जारी
लॉकडाउन की सारी मर्यादाएं धरी रह जा रहीं और चोरी छिपे पहुंचने का काम धड़ल्ले से हो रहा है। राज्य सरकार ने कोरोना की पड़ताल के लिए घर घर सर्वे शुरु कराया है। लाखों लोगों का सर्वे हो चुका। सरकार ट्रैवल हिस्ट्री और बीमारी के लक्षणों की पड़ताल करा रही है। बीमारी के लक्षण मिलने पर कोरोना जांच कराई जा रही और संदिग्धों को भर्ती किया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक बीस हजार से अधिक सैंपल्स की जांच की जा चुकी है और कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 346पार कर चुका है।