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गोपालगंज, सीतामढ़ी में हालत खराब
गोपालगंज जिले में गंडक नदी के डिस्चार्ज का पानी तीन दर्जन गांवों को अपनी चपेट में ले चुका है। सदर और मांझागढ़ प्रखंडों के कुछ गांवों में कच्चे मकान और झोपड़ियां डूब गई हैं। निमुइया पंचायत के सैंकड़ों घर पानी में डूबे चुके हैं। ग्रामीणों को पक्के घरों की छतों पर शरण लेनी पड़ रही है। उधर सीतामढ़ी के छह प्रखंडों में कुल 38 पंचायत बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। कई झोपड़ियां पानी में डूब गई तो कितनी ही तेज धार में बह गई हैं। लखनदेई नदी का पानी गांवों में फैलकर तबाही मचा रहा है।
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बीमारों की सुधि लेने वाला कोई नहीं
बाढ़ से घिरे लोगों की कथा और भी त्रासद है। कोरोना काल के हाहाकार में बुखार और कोरोना के लक्षणों से मिलते लक्षणों वाले मरीजों की कौन कहे आम बीमारों को भी पूछने वाला कोई नहीं। डूबे गांवों से पार जाने के लिए कहीं कहीं सरकारी नाव ही सहारा बनी है। निमुइया पंचायत के गुड्डू यादव बताते हैं कि उनके बेटे को कई दिनों से बुखार है। खाट पर लादकर ग्रेसिया गांव ले गए। वहां से तटबंध पर पहुंचे और फिर सरकारी नाव के सहारे पार कर गोपालगंज सदर अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के डॉक्टरों ने पहले तो कोरोना के डर से भर्ती करने से मना कर दिया। फिर बड़ी आरजू मिन्नतों के बाद अस्पताल के आइसोलेशन में रखा और जांच के लिए भेजा है।
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गुड्डू यादव के बेटे की तरह अनेक ऐसे मामले हैं जिनकी न तो जांच हुई और न ही वे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने में समर्थ हैं। कोरोना संक्रमण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की बड़ी त्रासदी बनती जा रही है। सूत्रों का दावा है कि प्रभावित इलाकों में बिना जांच और बिना सक्षम इलाज के दर्जन भर लोग बीमारी से असमय मौत के शिकार हो गए हैं। इन इलाकों में कोरोना से दहशत तो है मगर इसे लेकर सरकार की तरफ से कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा। बाढ़ से डूबे गांवों में बुखार से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
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किशनगंज कटिहार में पानी घटने से राहत
किशनगंज, कटिहार और अररिया में बागमती और कोसी यदि आश्रय सहायक नदियों का जलस्तर घटने से लोगों ने राहत की सांस ली है। बराज से अभी मात्र दो लाख 18 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हो रहा है। इसके चलते किशनगंज, ठाकुरगंज, अररिया और कटिहार के निचले क्षेत्रों में पानी घटने लगा। पानी घटने से लोगों में बढ़ी दहशत कम हो रही है। हालांकि फ़ैल रही बीमारी और सरकार की ओर से बचाव के लिए चलाए जा रहे अभियान के लिए लोग बेहद लालायित और परेशान हैं।