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मंत्री जी, सितम्बर में कम नहीं सितम- रोज 12 से 13 माताओं की उजड़ रही कोख

locationगोरखपुरPublished: Sep 15, 2017 04:35:42 pm

सितंबर के पहले पखवारे में 176 मासूमों की जान जा चुकी है बीआरडी मेडिकल काॅलेज में  

children death

सितंबर के पहले पखवारे में 176 मासूमों की जान जा चुकी है बीआरडी मेडिकल काॅलेज में

धीरेंद्र विक्रमादित्य गोपाल

गोरखपुर। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पिछले महीना कहा था कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं। लेकिन मंत्री जी, सितंबर भी सितमगर साबित हो रहा। कातिल अगस्त तो बीत गया लेकिन फिर भी बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सितम्बर का पहला पखवारा करीब-करीब बीत चुका है और इस एक पखवारे में पौने दो सौ से अधिक मासूमों की जान जा चुकी है। अभी इस माह में 15 दिन शेष है। मेडिकल काॅलेज की 14 सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार 24 घंटे में 18 मासूमों ने दम तोड़ दिया। इसमें चार मौतें इंसेफेलाइटिस से हुई। एनआईसीयू में 11 नवजातों की मौत हुई और पीडियाट्रिक्स के आईसीयू में 7 जानें गई।

बीआरडी मेडिकल काॅलेज में सितंबर माह भी बच्चों के लिए कम जानलेवा नहीं साबित हुआ। अगस्त तो बच्चों की जान का दुश्मन रहा ही सितंबर में भी मासूमों पर सितम कम नहीं हुआ। सितंबर में बीते 14 दिनों में 176 मासूम काल के गाल में समा चुके हैं। अगर एक दिन की औसत निकाले तो बीआरडी में प्रतिदिन 12 से 13 मासूमों की जान जा रही है।
इंसेफेलाइटिस से जनवरी से 14 सितंबर तक 220 मौतें


बीआरडी मेडिकल काॅलेज में इंसेफेलाइटिस से जनवरी से सितंबर तक 220 जान जा चुकी है। 14 सितंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार चार मासूमों की जान इंसेफेलाइटिस से गई। इस समय इस बीमारी से पीड़ित करीब डेढ़ सौ मरीजों का इलाज मेडिकल काॅलेज में चल रहा। इस साल साढ़े दस सौ के आसपास मरीज यहां इंसेफेलाइटिस से इलाज के लिए आ चुके हैं।
मेडिकल काॅलेज में बढ़ी सुविधाएं लेकिन कम नहीं हुई मौतें

9-10 अगस्त को आक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौत के बाद पूरे देश में बीआरडी मेडिकल काॅलेज की कुव्यवस्था चर्चित हुई थी। इसके बाद सरकारी तंत्र सक्रिय हुआ। विभिन्न मेडिकल काॅलेजों से करीब 19 स्पेशलिस्ट डाॅक्टर्स भी यहां लगाए गए। नियोनेटल वार्ड के आईसीयू में वार्मर की कमी दूर करने के लिए 41 वार्मर विभिन्न जगहों से मंगाए गए। हर स्तर पर माॅनिटरिंग शुरू हो गई। लेकिन मौतों का सिलसिला है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा।
अब नेताओं का शोरगुल नहीं रह-रहकर माताओं की चीखें सुनाई दे रही

बीआरडी मेडिकल काॅलेज में इन दिनों नेताओं के शोरगुल नहीं हैं। न सत्तापक्ष का कोई अब अस्पताल का सूरत-ए-हाल जानने पहुंच रहा न ही विपक्ष ही वहां की अव्यवस्था को देख सरकारी-तंत्र की विफलता को मुद्दा बना रहा। वहां बचा है तो सन्नाटा और उस सन्नाटे को चीरती हुई कुछ चीखें। मेडिकल काॅलेज में इस सितंबर माह में मासूमों की मौत का औसत देखे तो प्रतिदिन 12 से 13 मासूमों की जान जा रही। यानि हर दो घंटे पर एक मासूम इस महीने काल के गाल में समा रहा।

इस महीने में मौतों का आंकड़ा

तारीख एनआईसीयू पीआईसीयू

1 सितम्बर 10 03
2 06 04
3 11 04
4 04 06
5 10 06
6 09 04
7 10 02
8 13 08
9 05 04
10 08 07
11 07 03
12 09 05
13 सितंबर 11 07

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