शनिवार को हुई थी जमकर मारपीट, तोड़फोड़ गोरखपुर में पिछले साल भर से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के भवन का निर्माण हो रहा है। इस निर्माण कार्य में 22 सौ से अधिक मजदूर लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि एम्स निर्माण कर रहे मजदूरों को गेट नंबर एक से प्रवेश दिया जाता था लेकिन पिछले कुछ दिनों से सिंघडिया के पास भी एक गेट खोल दिया गया है। लेकिन बरसात का मौसम होने की वजह से नया खोले गए गेट का रास्ता सही नहीं होने की वजह से मजूदर गेट नंबर एक से ही जाना मुनासिब समझते हैं। शनिवार को भी अधिकतर मजूदर गेट नंबर एक से ही जा रहे थे। गार्ड उनकी जांच कर अंदर प्रवेश दे रहे थे।
कहा जा रहा है कि गार्ड कुछ मजदूरों को दूसरे गेट से प्रवेश को भी कहने लगे इसलिए विवाद प्रारंभ हुआ तो कुछ लोग कह रहे कि गार्ड ने बिना हेलमेट लगाए प्रवेश कर रहे कुछ मजदूरों को रोका तो विवाद शुरू हुआ। हालांकि, कहासुनी के कुछ ही देर में काफी संख्या में मजूदर गेट नंबर एक पर एकत्र हो गए। उसी में कुछ ने गार्ड की बुरी तरह से पिटाई कर दी। इसके बाद कुछ मजदूरों का रेला निर्माणाधीन एम्स परिसर के टाइम आफिस में पहुंच गया। वहां रखी फाइल्स, जरूरी सामनों को तहस नहस कर दिया। कंप्यूटर वगैरह भी तोड़ दिए। सारा सामान तोड़फोड़ कर बिखरा दिया।
उधर, किसी ने पुलिस को इस तोड़फोड़ की सूचना दे दी। मौके पर वज्र वाहन के साथ पुलिस पहुंची। किसी तरह स्थिति को काबू में किया।
मारपीट के बाद बोरिया-बिस्तर बांध मजदूर लौट गए मारपीट के बाद मजदूर असुरक्षा के भाव से भी ग्रसित हो गए हैं। दूसरी वजह इनको यहां पर सुविधाओं का अभाव है। कई सौ करोड़ की लागत से हो रहे निर्माण में दो हजार से अधिक मजदूर लगे हैं लेकिन इनकी सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। रहने की खराब व्यवस्था, पेयजल, शौचालय की स्थिति बेहद खराब है। किसी तरह मजदूर यहां रहकर रोजी रोटी कमा रहे थे लेकिन मारपीट के बाद एक हजार से अधिक वापस लौट गए हैं। हालांकि, निर्माण एजेंसी मजदूरों के पलायन करने की बात को अस्वीकार कर रही है।