घोसी (मऊ) से आए विशिष्ट वक्ता मौलाना इफ्तेखार नदीम ने कहा कि हमें न डराया जाए, हमें न सताया जाए। मुल्क विभाजन के समय हमारे पूर्वजों ने पाकिस्तान जाने से साफ इंकार कर दिया था। हमारे पूर्वजों का कहना था कि हम इस सरजमीन पर हमेशा रहेंगे। अब आप ही बताईए जहां मेरे बुजुर्गों ने जिंदगी गुजारी है, जहां मस्जिदें, खानकाहें बनाईं हैं। उसे हम कैसे छोड़ सकते हैं। इस मुल्क व यहां के संविधान से हमें मोहब्बत है। हिंदुस्तान ही मेरा मुल्क है। वसीम रिजवी, तस्लीमा नसरीन, सलमान रुश्दी, तारिक फतेह जैसे लोग मौकापरस्त व नफरतों के सौदागार हैं, क्योंकि उनकी बातें समाज को तोड़ने का काम कर रही हैं। उक्त लोग दीन-ए-इस्लाम की मुकद्दस हस्तियों, उलेमा, मदरसों आदि पर अनापशनाप बोलकर मुसलमानों की भावनाएं आहत करते हैं। हजरत आयशा पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पत्नी और मुसलमानों की मां हैं, जिन पर वसीम रिजवी फिल्म बना रहा है। यह फिल्म अपमानजनक है। इससे मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं। हमारी सरकार से मांग है कि निर्माणाधीन फिल्म आयशा पर प्रतिबंध लगाकर वसीम रिजवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तार किया जाए। हिन्दुस्तान में मजहबी भावनाएं भड़काने वालों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून बनाया जाए।
मॉब लिंचिंग (Mob lynching) पर सख्त कानून वक्त की जरुरत विशिष्ट वक्ता मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि हमने बड़े जालिम हाकिमों का भी दौर देखा है। किसी कौम को काटने और मारने से उसे खत्म नहीं किया जा सकता। न ही दीन-ए-इस्लाम मिट सकता है और न ही कलमा पढ़ने वाले मिट सकते हैं और न मदरसों का वजूद खत्म किया जा सकता है। हिन्दुस्तान में मॉब लिचिंग की घटनाएं तेजी के साथ बढ़ रही हैं। जो चिंताजनक है। इसे रोका जाना बेहद जरुरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर मॉब लिंचिंग पर हर राज्य में सख्त कानून जल्द बनाया जाना बेहद जरुरी है। कानून बनाकर दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। हमारी मांग है कि मॉब लिंचिंग से पीड़ित प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी व दस लाख रुपया मुआवजा दिया जाए।
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इस्लामी शरीयत मुसलमानों की आन, बान और शान विशिष्ट वक्ता मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि इस्लामी शरीयत मुसलमानों की आन, बान और शान है। शरीयत पर मुसलमानों की जान कुर्बान है। मुसलमान शरीयत से कोई समझौता नहीं कर सकता है। अवाम को चाहिए कि दीन-ए-इस्लाम के साथ मजबूती से जुड़े रहें। निकाह-तलाक के मसले पर उलेमा की राय लेकर ही कोई फैसला किया करें। पारिवारिक विवाद सुलह समझौता से निपटाइए ताकि तलाक की नौबत न आने पाए और न ही कोर्ट कचहरी का चक्कर काटना पड़े। अगर पति पत्नी में नहीं निभती हो तो तलाक के विभिन्न नियम कुरआन व हदीस में दिए गए हैं उन पर अमल व जागरुक किया जाए। शादियों में होने वाली खुराफातों-फिजूल खर्ची, दहेज मांगने के रिवाज, बैंड-बाजा, खड़े होकर खाने-पीने पर पाबंदी लगाने की अपील करते हुए कहा कि निकाह शरीयत के मिजाज से करें। दहेज लिए बिना शादी करें। बेटी को बचाईए भी और पढ़ाईए भी। हर हाल में औरतों का सम्मान कीजिए।
अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी (मुफ्ती-ए-गोरखपुर) ने कहा कि दीन का इल्म हासिल कर दीन-ए-इस्लाम के साथ रिश्ता मजबूत किया जाए। दीनी तालीम हासिल करने पर जोर दीजिए। दुनियावी तालीम भी हासिल कीजिए। हलाल कमाई से खुद की और बच्चो की परवरिश कीजिए। मुसलमानों को चाहिए कि वह अपनी जिंदगी पैगंबर-ए-आजम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर चलकर गुजारें। पड़ोसियों का हक, आम इंसानों और मजदूरों का हक अदा कीजिए। यतीमों, बेसहारा, विधवाओं पर रहम कीजिए। गरीबों को खाना खिलाइए, कपड़ा पहनाइए। मरीजों का हालचाल पूछिए। सच बोलिए, ईमानदार बनिए।
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कश्मीरी बच्चों व बिहार बाढ़ पीड़ितों के लिए जुटाया गया चंदा सेमिनार में बच्चों ने कश्मीरी बच्चों व बिहार बाढ़ पीड़ितों के लिए गुल्लक के जरिए चंदा जुटाया। बच्चों ने कहा कि हर कश्मीरी व बिहारी हमारा भाई है। उनकी मदद करना हमारा कर्तव्य है। बच्चों के इस गुल्लक अभियान में उलेमा व अवाम ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। सभी ने बच्चों के गुल्लक अभियान की तारीफ की। इस गुल्लक को सोमवार को जिला प्रशासन को सौंपा जायेगा ताकि गुल्लक की राशि जरुरतमंदों तक पहुंच सके।
सेमिनार में बड़ी तादाद में लोग हुए शामिल सेमिनार में हाफिज रहमत अली निजामी, मो. शादाब, हाफिज नजरे आलम कादरी, मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही, मौलाना शौकत अली नूरी, हाजी मो. फैज अली, साबिर अली, अतहर अंसारी, अब्दुल समद, हाजी अब्दुल्लाह, गजनफर अली शाह, जमशेद जिद्दी, नूर मोहम्मद दानिश, मुनाजिर हसन, मो. अफरोज, अलाउद्दीन निजामी, मनोव्वर अहमद, आदिल अमीन, अब्दुल्लाह, सैयद इरशाद अहमद, मो. आजम, नवेद आलम, मौलाना फैजुल्लाह कादरी, मौलाना असलम, हाफिज महमूद रजा आदि मौजूद रहे।