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बड़ा खुलासाः जहां मुन्ना बजरंगी की हुर्इ है हत्या उस जेल के जेलर पर पैसों के लिए यह काम करने का आरोप, योगी सरकार पहले भी कर चुकी है सस्पेंड

locationगोरखपुरPublished: Jul 09, 2018 03:42:23 pm

सपा के राज में खूब चलती थी इस जेलर की, योगी सरकार ने किया था सस्पेंड लेकिन रसूख के बल पर फिर पा गए थे तैनाती

Munna bajrangi

Munna Bajrangi

मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद निलंबित किए गए बागपत के जेलर उदय प्रताप सिंह पहले ही सुर्खियों में रह चुके हैं। कैदियों से वसूली, राशन बेचने, जेल में पान-गुटखा बेचवाने के आरोप में वह पहले भी सस्पेंड किए जा चुके हैं। तब वह गोरखपुर में तैनात थे। बीजेपी की प्रदेश में सरकार बनते ही गोरखपुर जेल में छापामारी हुई थी। इस छापामारी में तत्कालीन जेलर यूपी सिंह पर कई प्रकार के अनियमितता के आरोप लगे थे। शासन को रिपोर्ट मिलने के बाद उनको तत्काल सस्पेंड कर दिया गया था। समाजवादी पार्टी में इस जेल की खूब चलती थी। योगी सरकार ने आते ही सस्पेंड किया लेकिन कुछ ही दिनों में भगवा सरकार में भी यूपी सिंह ने अपनी पकड़ बना ली थी। इसके बाद उनको बागपत जेल में तैनात कर दिया गया था।
अप्रैल 2017 में गोरखपुर जेल में गोरखपुर रेंज के उप महानिरीक्षक जेल यादवेंद्र शुक्ल ने छापा मारा था। छापामारी में जेल में जेलर द्वारा चलाए जा रहे एक अलग साम्राज्य के बारे में पता चला था।
आईजी जेल की रिपोर्ट के अनुसार उस समय गोरखपुर जेल की कैंटीन में गुटखा, पान मसाला, तंबाकू, गुल और कोल्ड ड्रिंक जैसी प्रतिबंधित चीजें बेचने की बात पता चली। कैदियों को स्पेशल सुविधा पैसा लेकर किया जाता था। यही नहीं जेल में कुछ खास बंदी रक्षकों की ही ड्यूटी अति महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाई जाती थी। कई बंदी रक्षकों ने इसकी शिकायत भी आईजी जेल से की थी। विलंब से आने वाले मुलाकातियों से पैसा लेकर उनकी मुलाकात कराई जाती थी।
जेल में कैदियों के लिए आने वाले राशन की कालाबाजारी की जाती थी। गेहूं व चावल जैसी सामग्रियों के खरीदे जाने के बाद उसे जेल में लाए जाने पर उनकी मात्रा का कहीं उल्लेख नहीं मिला था। रिपोर्ट के अनुसार चार्ज संभालने के बाद ही जेलर ने गल्ला का चार्ज भी ले लिया था जबकि पहले यह डिप्टी जेलर के जिम्मेदारी हुआ करती थी। कैदियों के खुराक में भी उन पर कटौती का आरोप लगा था।
जेल के ही कर्मचारी की शिकायत पर हुई थी छापेमारी

जेलर यूपी सिंह के खिलाफ गोरखपुर जेल के ही एक पुलिसकर्मी ने शिकायत की थी। आंतरिक शिकायत के बाद जेल में उच्चाधिकारियों ने छापेमारी कर आखों देखा हाल खुद देखने के बाद बयान भी लिया था। आरोप सही पाए जाने के बाद शासन को आईजी जेल ने रिपोर्ट भेजी थी।
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