संजय निषाद एक बार फिर आरक्षण की मांग के अपने पुराने स्टैंड पर लौटते दिख रहे हैं। उन्होंने इसके लिये पहले की तरह फिर से आन्दोलन करने की तैयारी तेज कर दी है। संजय निषाद भारतीय जनता पार्टी पर आरक्षण को लेकर अपना वादा भूलने का आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा ने चुनाव के पहले वादा किया था कि निषादों की सभी उपजातियों को SC/ST में शामिल किया जायेगा। अब वो अपना वादा भूल गये हैं। इसलिये उन्हें याद दिलाने के लिए एक बार फिर आन्दोलन किया जा रहा है।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने निषादों की सभी उपजातियों को एक कर सभी के लिये आरक्षण की मांग को लेकर 2008 में राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद का गठन कर सभी जातियों को एसएसी/एसटी में शामिल करने के लिये आंदोलन शुरू किया। गोरखपुर और उसके आसपास तक सिमटा यह आंदोलन 2015 में गोरखपुर-संत कबी नगर बाॅर्डर स्थित कसरावल में आरक्षण को लेकर हुए उग्र आंदोलन में एक व्यक्ति की मौत के बाद सबकी नजरों में आया। तत्कालीन सपा सरकार ने आंदोलन करने वाले नेताओं को जेल में डाल दिया और संजय निषाद भूमिगत हो गए।
2016 में उन्होंने “निर्बल भारतीय शोषित हमारा आम दल” यानि ‘निषाद’ पार्टी का गठन कर चुनावी राजनीति का ऐलान किया और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा से निकाले गए बाहुबली विजय मिश्रा का ज्ञानपुर निषाद पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीते। संजय निषाद को भी गोरखपुर ग्रामीण में अच्छे वोट मिले।
यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद हुए लोकसभा उपुनाव में तो संजय निषाद ने सपा के साथ गठबंधन कर सीएम योगी की गोरखपुर सीट पर ही भाजपा को पटखनी दे डाली और अपने बेटे प्रवीण निषाद को सांसद बना दिया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले वह पलटी मारते हुए भाजपा से जा मिले और संत कबीर नगर से अपने बेटे का भाजपा का टिकट भी दिलवाकर फिर सांसद बनवा लिया।