गोरखपुर

निकाय चुनाव: शहरी मतदाताओं को सहेजने में जुटी बीजेपी, GST सहित कई मुद्दे पर BJP को घेरेगी सपा

बीजेपी पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगा मतदाताओं को लुभाने में लगी तो सपा जीएसटी व नोटबंदी जैसे मुद्दों पर घेर रही ।

गोरखपुरOct 20, 2017 / 02:55 pm

Akhilesh Tripathi

निकाय चुनाव

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश का निकाय चुनाव इस बार सत्ताधारी बीजेपी व सत्ता से बाहर हुए समाजवादियों के बीच शहरी मतदाताओं के लिए जोर आजमाईश का अखाड़ा बनने जा रहा। बीजेपी जहां अपने शहरी मतदाताओं को सहेजने में पूरी ताकत लगाने जा रही तो समाजवादी पार्टी बीजेपी सरकार के बड़े मुद्दों को हथियार बनाकर, उनको अपना बना, सत्ताधारी दल को धूल चटाने की फिराक में लग चुकी है। दोनों की धुरंधर दल इस राजनैतिक अखाड़े में क्या गुल खिलाएंगे यह तो परिणाम सामने आने पर पता चलेगा लेकिन त्योहारों के मौसम में राजनीति के ढेर सारे रंग देखने को मिले इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
 

यूपी निकाय चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। निकाय क्षेत्रों की एक एक सीट पर आरक्षण की घोषणा के साथ ही आपत्तियों के निस्तारण का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। जिला प्रशासन चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दे ही रहा, संभावित प्रत्याशी भी पूरे जोर शोर से अपने अपने क्षेत्र में लगे हुए हैं। प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। निकाय चुनाव में बुरी से बुरी स्थिति में भी बीजेपी का दबदबा पिछले डेढ़ दशक से कायम रहा है। अधिकतर सीट्स पर ‘पार्टी विद डिफरेन्स’ का कब्ज़ा होता रहा है। लेकिन इस बार स्थितियां थोड़ी अलग हो सकती हैं। सत्ता होने के बावजूद इस बार बीजेपी को फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ रहा।
 

महंगाई कम होने की उम्मीद मध्यमवर्ग लगाये हुए था लेकिन जीएसटी ने महंगाई के ग्राफ को और बढ़ा दिया। इसका सीधा असर शहरी मध्यमवर्ग पर पड़ा है। जीएसटी की वजह से बीजेपी का सबसे बड़ा समर्थक व्यापारी तबका भी नाराज चल रहा। एक व्यापारी बताते हैं कि जीएसटी ने मंदी से भी बदतर स्थिति में पहुंचा दिया है। त्योहार के मौसम में भी बाज़ार सूना है। वह बताते हैं कि नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी ने आमलोगों से लेकर व्यापारियों को तबाह कर दिया है।
 

बीजेपी सूत्रों की माने तो कार्यकर्ता भी इस बार अपने दल से ख़ासा नाराज है। कार्यकर्ता पार्टी के सत्ता में आने के बाद अच्छे दिन की आस लगाए था लेकिन कहीं भी उनकी सिफारिश सुनी नहीं जा रही। पार्टी के एक बड़े पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी को कुछ लोगों ने हाईजैक कर लिया है। बूथ स्तर का कार्यकर्ता चुप हो गया है। वह बताते हैं कि विधान सभा चुनाव में बाहरी लोगों को तवज्जो तो सह लिया गया लेकिन निकाय में भी पार्टी बाहरियों को प्रोमोट कर रही। ऐसे में वर्षों से पार्टी के लिये संघर्ष करने वाला कार्यकर्ता अपने राजनैतिक भविष्य के लिए परेशान है।
 

हालांकि, बीजेपी के कई पदाधिकारी कहते है कि पार्टी इस बार लोकसभा व विधान सभा का इतिहास दोहरायेगी। इन लोगों का मानना है कि समाजवादी पार्टी, बसपा व कांग्रेस की लूट से प्रदेश तबाह हो चुका है, योगी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार यूपी को पटरी पर ला रही। जनता सब जानती है, समझती है, निकाय चुनाव को भी हम 2014 व 2017 की तरह जीतेंगे। उधर, सत्ता से बाहर हुई समाजवादी पार्टी अब बीजेपी के इन्हीं मुद्दों को हथियार बना अपनी पैठ बनाने में लगी है। वह नोटबंदी, जीएसटी जैसे मुद्दे पर सरकार को घेर रही। एक चुनावी विश्लेषक का कहना है कि शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की पैठ को कम करने के लिए समाजवादी पार्टी के पास इससे बेहतर मौका नहीं है।
 

सपा के लोग दावा कर रहे कि इस निकाय चुनाव को समाजवादी पूरे दमख़म से लड़ने जा रहे। गोरखपुर समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल के प्रभारी राघवेंद्र तिवारी का कहना है कि पार्टी के पास हर सीट पर अपने कार्यकर्ता हैं जो जीताऊ हैं। जल्द ही हमारे प्रत्याशी भी घोषित कर दिये जायेंगे। बीजेपी से आमजन नाराज है। नौकरीपेशा से लेकर व्यापारी तबाह हो गया है। महंगाई अपने चरम पर है। जनता के बीच सपा की लोकप्रियता बढ़ी है। बहरहाल, जनता को लुभाने के लिए एक और दौर शुरू हो चुका है। कोई समाजवाद लाने की बात कर रहा तो कोई रामराज। लेकिन बेचारी जनता है कि दो जून की रोटी, छोटा सा रोजगार और एक अदद छत की आस में अपने वोट को हर बार बर्बाद कर देती।
 

BY- Dheerendra Gopal

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