scriptजनसंघ और भाजपा ने मंदिर के बिना पांच बार गोरखपुर फतह का किया प्रयास, छठवीं बार रविकिशन पर दांव | BJP never won this seat without mandir, sixth attempt with Film star | Patrika News

जनसंघ और भाजपा ने मंदिर के बिना पांच बार गोरखपुर फतह का किया प्रयास, छठवीं बार रविकिशन पर दांव

locationगोरखपुरPublished: May 03, 2019 11:35:52 am

गोरखपुर लोकसभा चुनाव

Upendra dutt and ravi kishan

जनसंघ और भाजपा ने मंदिर के बिना पांच बार गोरखपुर फतह का किया प्रयास, छठवीं बार रविकिशन पर दांव

गोरखपुर सदर लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ भले ही माना जाता रहा है लेकिन यह भी सच है कि आजतक बीजेपी ने गोरखनाथ मंदिर के गुरुओं के अतिरिक्त किसी दूसरे प्रत्याशी को उतार कर इस सीट को जीत पाने में सफलता नहीं पाई है। जनसंघ और भाजपा ने पांच बार गोरखनाथ मंदिर से बाहर का प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा है लेकिन कभी भी वह सफल नहीं हुआ। इस बार बीजेपी फिल्म अभिनेता रवि किशन को उतारकर इस मिथक को तोड़ने की फिराक में है।
पूर्वांचल के प्रसिद्ध पीठ गोरखनाथ मंदिर और गोरखपुर की राजनीति के बीच काफी गहरा नाता रहा है। लोगों की आस्था से जुड़ी इस पीठ से जब भी कोई राजनीति में आया तो जनता ने अधिकतर बार उस प्रत्याशी के सिर पर जीत का सेहरा बांधा है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि जिस गोरखपुर संसदीय सीट को बीजेपी की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है वह सीट गोरखनाथ मंदिर के प्रत्याशी के लिए ही सुरक्षित साबित हुई है। क्योंकि जब भी मंदिर के गुरुओं ने गोरखपुर से चुनाव लड़ने में रूचि दिखाई यहां की जनता ने उनको हाथों हाथ लिया है। हालांकि, जनता ने मंदिर के प्रत्याशी को हराया भी है लेकिन अधिकतर बार जीत का सेहरा इनके ही सिर पर बंधा है।
पहला आम चुनाव महंत दिग्विजयनाथ गोरखपुर साउथ और बस्ती सेंट्रल/गोरखपुर पश्चिमी से लड़े लेकिन दोनों सीटों पर उनको हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में वह हिंदू महासभा के प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। भारतीय जनसंघ ने भी पहले चुनाव में शिरकत की और गोरखपुर नार्थ से केएम मिश्र को लड़ाया लेकिन वह 12 हजार के आसपास वोट पाकर हार गए।
दूसरे लोकसभा चुनाव में महंत दिग्विजयनाथ चुनाव नहीं लड़े लेकिन भारतीय जनसंघ ने प्रत्याशी उतारा औ जनसंघ के प्रत्याशी रघुराज को भी हार का सामना करना पड़ा।
तीसरे आम चुनाव में महंत दिग्विजयनाथ फिर हिंदू महासभा प्रत्याशी के रूप में उतरे लेकिन कुछ हजार वोटों से वह जीत नहीं सके। इस बार भी भारतीय जनसंघ ने प्रत्याशी लड़ाया और लक्ष्मीशंकर खरे तीसरे नंबर पर रहे। जनसंघ को बीस हजार से अधिक वोट मिले थे।
1967 में मंदिर के प्रत्याशी महंत दिग्विजयनाथ पर जनता ने भरोसा जताया और वह चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। उनके ब्रह्लीन होने के बाद हुए उपचुनाव में महंत अवेद्यनाथ उपचुनाव जीतकर संसद पहुंचे। लेकिन 1971 में हुए आमचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे महंत अवेद्यनाथ को कांग्रेस प्रत्याशी नरसिंह नारायण पांडेय ने हरा दिया। इस हार के बाद महंत अवेद्यनाथ विधानसभा की राजनीति की ओर फिर से रूख किए और कई चुनाव तक संसदीय चुनाव में नहीं उतरे।
इधर, जनसंघ का भी विलय जनता पार्टी में हो चुका था। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के उदय के साथ 1984 में भाजपा ने गोरखपुर में पहली बार प्रत्याशी उतारा। पुराने जनसंघी लक्ष्मीशंकर खरे पर फिर भरोसा जताया लेकिन वह करीब 16 हजार वोट की पा सके।
1989 में महंत अवेद्यनाथ ने संसदीय राजनीति में उतरने का फिर निर्णय लिया। और अखिल भारतीय हिंदू महासभा से महंत अवेद्यनाथ फिर गोरखपुर के सांसद चुने गए।
1991 में भाजपा गोरखनाथ मंदिर की शरण में पहुंची। महंत अवेद्यनाथ को अपना प्रत्याशी बनाया और महंत अवेद्यनाथ तीसरी बार संसद में पहुंचे तो पहली बार भाजपा का खाता खुला। 1996 में भाजपा के टिकट पर महंत अवेद्यनाथ फिर सांसद बने। 1998 में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने के बाद अपनी सीट उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के लिए गोरखपुर सीट 1999, 2004, 2009 और 2014 में जीती। लेकिन 2017 में मुख्यमंत्री होने के बाद वह इस सीट से इस्तीफा दे दिए। इस्तीफा के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा ने मंदिर के बाहर का प्रत्याशी दिया। क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ल को प्रत्याशी बनाया लेकिन वह चुनाव हार गए। हालांकि, हार का अंतर काफी कम था लेकिन वह भाजपा में मंदिर के प्रत्याशी के अलावा कोई और नहीं वाला मिथक तोड़ नहीं सके।
इस बार भी भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर के बाहर का प्रत्याशी दिया है। भोजपुरी फिल्म अभिनेता रवि किशन मैदान में हैं। रविकिशन पर इस बार दोहरा दबाव है। पहला यह कि मुख्यमंत्री के जिले की सीट को जीतकर गंवाई सीट को वापस लाना और दूसरा यह कि इस मिथक को तोड़ना कि गोरखनाथ मंदिर के अलावा भाजपा किसी दूसरे को नहीं जीता सकती।
बहरहाल, अंतिम चरण के मतदान के लिए प्रचार प्रारंभ हो चुका है। भोजपुरी फिल्म अभिनेता रविकिशन काफी दिनों से यहां रहकर प्रचार भी करने लगे हैं। 23 मई को जनता का निर्णय आएगा तब तय होगा कि मंदिर के बाहर का भी प्रत्याशी भाजपा जीता सकती या नहीं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो