राममंदिर है आस्था का मुद्दा बीजेपी लगातार राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलित रही है लेकिन सत्ता मिलने के बाद राममंदिर मुद्दे पर बीजेपी ने चुप्पी साध ली है। देश भर के करोड़ों लोगए साधु.सन्यासी अभी भी राममंदिर को लेकर बेहद संवेदनशील है। पहले बीजेपी पूर्ण बहुमत का रोना रो रही थी लेकिन अब चूँकि प्रदेश व केंद्र दोनों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत है इसलिये सबकी मंशा है कि बीजेपी इस मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ़ करे। बीजेपी की कई सालों से चुप्पी से लोगों में यह संदेश जा रहा कि वोट की खातिर बीजेपी ने राममंदिर कार्ड खेला था। जानकारों के अनुसार हियुवा भारत या इस तरह के स्टैंड राम मंदिर मुद्दे पर घेर कर बीजेपी को अच्छा.खासा नुकसान पहुंचा सकती है।
जनहित के मुद्दों को लेकर संघर्ष भी जारी हिन्दू युवा वाहिनी भारत संगठन को मजबूत करने के लिए लगातार कार्य कर रही। हियुवा भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह समेत अन्य पदाधिकारी इसके लिए जिलों में संगठन खड़ा कर रहे। यही नहीं संगठन के लोग जनहित के मुद्दे को लेकर संघर्ष भी करना शुरू कर दिए हैं। पिछले दिनों गोरखपुर में जलजमाव और मोहल्लों की नारकीय स्थिति को लेकर इस संगठन ने सक्रियता दिखाते हुए नगर निगम पर ठीक.ठाक प्रदर्शन किया। जानकारों की मानें तो योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जब हियुवा का गठन हुआ था तो इसी तरह के धरना प्रदर्शन व आक्रामक तेवर से इसे खड़ा किया गया था। बागी संगठन भी इसी राह पर चल खुद खड़ा होना चाहता है।
लोकसभा 2019 के बागियों का होगा नया ठौर
हर बार की तरह बीजेपी में टिकटार्थियों की संख्या काफी है। लाजिमी है टिकट घोषणा के बाद बगावत का बुलबुले भी उठेंगे। ऐसे में हियुवा भारत इनका नया ठीकाना हो सकता है। क्योंकिए पूर्वांचल में हिंदू युवा वाहिनी एक प्रखर हिंदूवादी संगठन का तगमा हासिल किए हुए है। संगठन के कई धड़ होने के बाद भी सभी के पास अच्छी खासी संख्या में कार्यकर्ता हैं। पिछले कुछ चुनावों के ट्रेंड को अगर देखे तो भाजपा के कई बागी यूपी में शिवसेना या हिंदू महासभा के सिंबल पर मैदान में उतर चुके हैं।
हर बार की तरह बीजेपी में टिकटार्थियों की संख्या काफी है। लाजिमी है टिकट घोषणा के बाद बगावत का बुलबुले भी उठेंगे। ऐसे में हियुवा भारत इनका नया ठीकाना हो सकता है। क्योंकिए पूर्वांचल में हिंदू युवा वाहिनी एक प्रखर हिंदूवादी संगठन का तगमा हासिल किए हुए है। संगठन के कई धड़ होने के बाद भी सभी के पास अच्छी खासी संख्या में कार्यकर्ता हैं। पिछले कुछ चुनावों के ट्रेंड को अगर देखे तो भाजपा के कई बागी यूपी में शिवसेना या हिंदू महासभा के सिंबल पर मैदान में उतर चुके हैं।
सुनील सिंह रहे हैं योगी आदित्यनाथ के करीबी हिंदू युवा वाहिनी भारत के अध्यक्ष सुनील सिंह कभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबियों में शुमार हुआ करते थे। 2017 विधानसभा चुनाव में हिंदू युवा वाहिनी से जुड़े लोगों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाने एवं योगी की उपेक्षा के खिलाफ बीजेपी के खिलाफ सुनील सिंह ने बिगुल बजाया था। वह योगी आदित्यनाथ को बीजेपी यूपी का चेहरा बनाने का ऐलान करने की मांग को लेकर बीजेपी पर हमलावर हो गए थे। बीजेपी पर योगी आदित्यनाथ को तवज्जो नहीं दिए जाने का आरोप लगाकर वह हिंदू युवा वाहिनी के प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिए थे। हालांकिए तत्काल योगी आदित्यनाथ ने इन लोगों को फटकार लगाई थी। लेकिन नुकसान की आशंका से परेशान बीजेपी ने भी तुरंत डेमेज कंट्रोल शुरू कर दिया। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर से लेकर कई दिग्गज नेता गोरखपुर में कई दिनों तक डेरा डाले रहे और योगी आदित्यनाथ के संपर्क में रहे। इसके बाद खुद अमित शाह और उनकी टीम पहुंची। योगी आदित्यनाथ ही इस बार भी केंद्र में थे। योगी ने आश्वस्त किया कि हिंदू युवा वाहिनी एकजुट होकर बीजेपी के प्रचार में लगेगी। हियुवा कार्यकर्ताओं की मीटिंग में भी भाजपा के आला नेता शामिल हुए। हालांकिए इस दौरान हियुवा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंहए महामंत्री रामलक्ष्मण समेत आधा दर्जन से अधिक पदाधिकारियों को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जो प्रत्याशी उतारे गए थे उनसे योगी के दूत मिलकर पीछे हटाने का प्रयास शुरू किया और काफी सफलता भी मिली।