ये भी पढ़ें- चौरी चौरा शताब्दी समारोहः पीएम मोदी ने डाक टिकट किया जारी, कहा- शहीदों को अभी तक नहीं मिला समुचित सम्मान दरअसल इतिहासकारों के हिसाब से चौरी चौरा के साथ ‘कांड’ शब्द पूरे तरह से नकारात्मक है। बल्कि चौरी चौरा प्रकरण का लक्ष्य सकारात्मक था। इतिहासकारों का एक और तर्क है। वह यह कि कांड में पराधीनता के खिलाफ अराजकता का भाव निहित है। ऐसे में अब चौरी चैरी के साथ ‘कांड’ शब्द की जगह ‘स्व का जागरण’, ‘सर्वजन का आक्रोश’, ‘प्रतिरोध’, ‘भारतीय जनमानस की प्रतिक्रिया’ ‘जलियांवाला कांड का प्रतिउत्तर’ जैसे शब्दों का प्रयोग करना होगा। ऐसा ही तारीख में भी बदलाव होगा।
ये भी पढ़ें- लखनऊः पीएम मोदी के भाई प्रह्लाद ने खोला मोर्चा, कहा- यूपी पुलिस भ्रष्टाचारी है, तानाशाही नहीं चलेगी किताबों में गलत पढ़ाया जा रहा- बताया जा रहा है कि किताबों में इस घटना की तारीख 5 फरवरी अंकित है, जबकि 4 फरवरी की शाम चार बजे यह घटना घटित हुई थी। इसका प्रशासनिक रिकार्ड के साथ-साथ उस समय छपने वाले प्रमुख अखबार ‘लीडर’ में भी जिक्र है। ऐसे में किताबों में अब तक इस प्रकरण की तारीख गलत बताई जाती रही है।