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सीएम साहब, सरकारी सिस्टम इन पीड़ित परिवारों का दर्द बढ़ा रहा…

locationगोरखपुरPublished: May 15, 2018 02:43:18 am

26 अप्रैल को कुशीनगर के दुदही बहपुरवा क्रासिंग पर ट्रेन व वैन दुर्घटना में 13 मासूमों की मौत हो गई थी

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कुशीनगर में लाठीचार्ज

गोरखपुर। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार और प्रशासन पर संवेदनहीन होने का आरोप लगाया है।
विधायक ने बताया कि 26 अप्रैल को दुदही के बहपुरवा क्रासिंग पर स्कूली वैन तथा ट्रेन की टक्कर में तेरह मासूमों की मौत और चार बच्चों के घायल होने की हृदय विदारक घटना के बाद जिला प्रशासन तथा रेल विभाग के द्वारा पीडित परिवारों को दिये गये दो-दो लाख का चेक अभी तक महज कागज का टुकड़ा ही साबित हुआ है। पीडित परिजन मुआवजा और इलाज की राशि के लिए बैंको के चक्कर लगाने पर मजबूर है।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकारी और प्रशासनिक संवेदनहीनता के कारण पीडित परिवार बैंको के चक्कर लगा रहे हैं और प्रदेश सरकार तथा रेलवे विभाग के द्वारा दी गयी राशि का हस्तांतरण अभी तक उनके खाते में नहीं हुआ है, जो एक शर्मनाक बात है। उन्होंने प्रशासनिक और वित्तिय संस्थाओं की लापरवाही को इंगित करते हुए कहा कि जिनके बच्चों की मौत पर सरकार मरहम लगाने के लिए दो-दो लाख का चेक दिया था, उस पैसे की आस में पीडित बैंको में हाजिरी लगा रहे हैं लेकिन भुगतान नहीं हो रहा है। लेकिन रेल विभाग के चेक कैश ही नहीं हो पा रहे है। जबकि जिला प्रशाशन के भी कई चेक तकनीकी कारणों से अभी पेंडिंग है। इन पीड़ित परिवारों के लोग बैंको का चककर लगाने को विवश हैं। उन्होनें कहा कि प्रशासन और रेलवे में थोड़ी भी संवेदना यदि बाकी है तो एन.ई.एफ.टी या आर.टी.जी.एस. के माध्यम से पीडित परिजनों के खाते में पैसे का हस्तांतरण करे।
रेल क्रासिंग हादसे के शिकार कुल तेरह मासूमों के आठ परिवार को रेल विभाग तथा जिला प्रशासन ने दो दो लाख के हिसाब से घटना के दिन ही चेक उपलब्ध करा दिया था। आनन फानन में दिए गए चेको में कई त्रुटियां भी रही। जिसके चलते अपने दो बेटों को खोने वाले हैदर तथा एक-एक बेटे खोने वाले जहीर, नजीर को तहसील का चक्कर लगाना पड़ा। बात यही तक नहीं रही अपने तीनों बच्चो रवि, टुन्नु, रागिनी को खोने वाले अमरजीत को मिले दो-दो लाख के तीनों चेक पेंडिंग में है। रेल विभाग के चेक को बैंको ने वाराणसी भेजा है जो दस दिन बाद भी क्लियर नहीं हुआ है जबकि जिला प्रशासन वाला चेक की धनराशि दो-दो बार खाते में पोस्ट होकर वापस लौट गया है। वापसी के कारण बैंको ने दो सौ छत्तीस रुपए भी दो बार काट लिए हैं। दो बच्चो मेराज और मुस्कान को खोने वाले मैनुद्दीन को भी रेल से मिला चेक पेंडिंग ही है। एक एक बेटे खोने वाले जहीर और नजीर को तो आपना चेक दुरुस्त कराने रेल विभाग के ऑफिस वाराणसी तक जाना पड़ा। लेकिन रुपया अभी भी खाते तक नहीं आ सका है। दो बेटों कामरान और फरहान को खोने वाले हैदर ने नाम सुधार के बाद अपने दोनो चेक जमा कर दिया लेकिन सप्ताह भर बाद भी उसका भी पता नहीं है। अपनी दो बेटियों साजिदा और तमन्ना को खोने वाले हासन जिला प्रशासन का चेक तो खाते में अंतरित हो गया लेकिन रेल विभाग के चेक का कुछ पता नहीं चल सका है।
घायल बच्चो को मिले चेक का भी यही है हाल

हादसे में घायल भाई बहन कृष्णा और रोशनी तथा चचेरे भाई तालीम और समीर को भी रेल विभाग ने एक एक लाख तो जिला प्रशासन ने पचास पचास हजार की अहेतुक सहायता दी थी। इन परिवारों के लोग तो अस्पतालों मे ही उलझे थे लिहाजा चेक भी बिलंब से ही खातों में जमा हुए। कृष्णा, रोशनी, तालीम तथा समीर के घर वालों ने बताया कि चेक तो बैंक में सप्ताह भर पहले ही जमा किया था लेकिन अब तक एसएमएस से कोई सूचना नहीं मिल पाई है।
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