गोरखपुर

UP Board 2018: साहब तो हैं इफरात, कक्ष निरीक्षक के लिए करना पड़ रहा जुगाड़

गोरखपुर जनपद में नकल विहीन परीक्षा कैसे हो जब कक्ष निरीक्षकों का ही भारी टोटा

गोरखपुरFeb 08, 2018 / 12:28 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

गोरखपुर। प्रदेश सरकार परीक्षा को नकल विहीन कराने के लिए तमाम जतन कर रही। प्रशासन, पुलिस से लगायत शिक्षा विभाग के आला अफसर लगातार गाड़ियों का पेट्रोल फूंक रहे। नकल रोकने के लिए मंत्री हेलीकाप्टर से आसमान से उतर रहे। हर तरफ नकल के खिलाफ खौफ पैदा करने की कोशिशें जारी है लेकिन नकल रोकने के लिए जो सबसे जरुरी कदम है वह उठाया नहीं जा सका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले में यूपी बोर्ड की परीक्षा में कक्ष निरीक्षकों का जबरदस्त टोटा है। जरुरी संख्या के एक चौथाई कक्ष निरीक्षकों के बिना ही परीक्षा कराई जा रही। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है जब क्लास में कोई रोकने वाला ही नहीं होगा तो वहां किस तरह नकल विहीन व्यवस्था होगी।
गोरखपुर जनपद में इस बार एक लाख सत्तर हजार के करीब छात्र-छात्राएं परीक्षा के लिये पंजीकृत हैं। 209 परीक्षा केंद्रों पर 170057 परीक्षार्थियों में हाईस्कूल के संस्थागत 84108 व व्यक्तिगत 9375 परीक्षार्थी परीक्षा देने के लिए पंजीकरण कराये हैं। वहीं इंटरमीडिएट के संस्थागत 69120 और व्यक्तिगत 7454 छात्र-छात्रा परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। गोरखपुर में आधा दर्जन अतिसंवेदनशील केंद्र हैं।
इन परीक्षा केंद्रों पर नकलविहीन परीक्षा के लिए 10 जोन और 23 सेक्टर बनाया गया है। प्रत्येक जोन में एक जोनल मजिस्ट्रेट और सेक्टर में एक सेक्टर मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। इसके अलावा 5 सचलदल एवं 1 पेट्रोलिंग दल गठित है। साथ में सम्बंधित थानाध्यक्ष, क्षेत्राधिकारी, एसडीएम भी परीक्षा की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं।
सबसे जरुरी बात पर ध्यान नहीं दिया गया

गोरखपुर के 209 परीक्षा केंद्रों पर नकल विहीन परीक्षा के लिये 5100 ( पांच हजार एक सौ) कक्ष निरीक्षकों की आवश्यकता है। लेकिन पहले दिन की परीक्षा बीतने तक महज 3900 कक्ष निरीक्षक ही मिल सके हैं। इसमें भी बहुत सारे परीक्षा ड्यूटी में नहीं पहुँच रहे हैं। कक्ष निरीक्षकों की कमी से केंद्र व्यवस्थापकों को परीक्षा कराने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। इसी तरह एक केंद्र पर मंगलवार को पहले दिन परीक्षा सुचारू रूप से कराने को 49 कक्ष निरीक्षक चाहिए था लेकिन पहुंचे महज 23 थे। यह केंद्र तो बानगी मात्र है। करीब करीब हर केंद्र का हाल यही है। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि राज्य सरकार की नकल विहीन परीक्षा की मंशा का पालन कराने के लिए व्यवस्थापकों को क्या क्या पापड़ बेलना पड़ता होगा और अंदर किस तरह व्यवस्था हो रही होगी।
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