scriptखाद का आयात होगा कम, दिखेगा आत्मनिर्भरता का दम | CM Yogi dream project Gorakhpur hindi news | Patrika News

खाद का आयात होगा कम, दिखेगा आत्मनिर्भरता का दम

locationगोरखपुरPublished: Nov 27, 2021 07:46:40 pm

Submitted by:

Ritesh Singh

गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया। एक बार यहां की मशीनें शांत हुईं तो तरक्की से जुड़ी उनकी आवाज को दोबारा सुनने की दिलचस्पी सरकारों ने नहीं दिखाई।

खाद का आयात होगा कम, दिखेगा आत्मनिर्भरता का दम

खाद का आयात होगा कम, दिखेगा आत्मनिर्भरता का दम

गोरखपुर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट गोरखपुर का खाद कारखाना खेतों की हरियाली और रोजगार के क्षेत्र में खुशहाली लाने को पूरी तरह तैयार हो चुका। सांसद के रूप में खाद कारखाने के लिए लगातार संघर्षरत रहे और मुख्यमंत्री बनने के बाद कोरोना की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी इसके समयबद्ध निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले योगी आदित्यनाथ आगामी 7 दिसम्बर को विकास की इस बड़ी सौगात को पीएम मोदी के हाथों समर्पित कराने जा रहे हैं। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा निर्मित इस खाद कारखाने से प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। इतने बड़े पैमाने पर खाद उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी तो आत्मनिर्भरता का दम भी दिखेगा।
गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया। एक बार यहां की मशीनें शांत हुईं तो तरक्की से जुड़ी उनकी आवाज को दोबारा सुनने की दिलचस्पी सरकारों ने नहीं दिखाई। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नए प्लांट के लिए आवाज बुलंद की। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने तत्समय सांसद योगी आदित्यनाथ की इस मांग पर संजीदगी दिखाई और 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाने का शिलान्यास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी सौगात दी। मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाद कारखाने के निर्माण में किसी तरह की बाधा ही नहीं रह गई, वरन निर्माण कार्य को पंख लग गए। खास बात यह भी है कि यहां पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस आधारित प्लांट लगाया गया है।
गोरखपुर के खाद कारखाने का संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की है। एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं। इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8000 करोड़ रुपये की लागत आई है। कारखाना परिसर में 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बना है जिस पर गोलियों का भी असर नहीं होता है। एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है। इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। यही नहीं आने वाले दिनों में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी। प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पण से पूर्व कारखाना प्रबंधन 30 नवम्बर में उत्पादन का ट्रायल करने जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने दिया था सीएम योगी को समूचा श्रेय

4 मार्च को गोरखपुर आए तत्कालीन केंद्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने यहां के खाद कारखाने की स्थापना का समूचा श्रेय सीएम योगी को दिया था। उन्होंने कहा था कि गोरखपुर में खाद कारखाने को स्थापित करने की पहल सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ ने ही की थी। उन्होंने सीएम योगी की इस बात की भी सराहना की थी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले दिन से उन्होंने खाद कारखाने से जुड़ी हर मांग स्वीकार कर कार्य को आगे बढ़ाया। एक साल से अधिक का समय वैश्विक महामारी कोरोना से प्रभावित रहने के बावजूद कार्य समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ सका, तो इसका श्रेय राज्य की योगी सरकार को है। अक्टूबर माह में वर्तमान केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने भी कारखाने की प्रगति जानने के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुक्तकंठ से सराहना की थी।
गोरखपुर खाद कारखाना:एक नजर में

शिलान्यास – 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों
संचालनकर्ता : हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड
कार्यदायी संस्था – टोयो जापान
कुल बजट – करीब 8000 करोड़ रुपये
यूरिया प्रकार – नीम कोटेड
प्रीलिंग टावर – 149.5 मीटर ऊंचा
रबर डैम का बजट- 30 करोड़
रोजगार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष – 10 हजार
रोजाना यूरिया उत्पादन – 3850 मीट्रिक टन
रोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन -2200 मीट्रिक टन
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो