गोरखपुर. शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मां कालरात्रि का पूजन करने के बाद अष्ठमी में शाम को गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में हवन पूजन पूरे विधि-विधान से कराया। नाथ परम्परा के अनुसार हवन अष्ठमी में सायं के समय होता है।
शाम 7.00 बजे वेदी पर उगे (जमे) जई (जौ के पौधे) को गोरक्षपीठाधीश्वर एवं आचार्यगण द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच काटा गया। तत्पश्चात् हवन वेदी पर ब्रह्म, विष्णु, रूद्र तथा अग्नि देवता का आह्वान एवं पूजन किया गया। इसके बाद दुर्गा सरस्वती के सम्पूर्ण पाठ के साथ हवन किया गया। बलि के रूप में नारियल, गन्ना, केला, जायफर आदि का सात्विक बलि देकर मुख्यमंत्री ने शक्ति आराधना का कार्य सम्पन्न कराया। अन्त में आरती एवं क्षमायाचना के बाद प्रसाद वितरण हुआ।
रात्रि में अष्ठमी की विशेष महानिशा पूजा विधिविधान से गोरक्षपीठाधीश्वर द्वारा सम्पन्न कराया गया।श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शारदीय नवरात्र शक्ति संग्रह का महापर्व है।
इस नवरात्र में विधि पूर्वक महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती की समष्ठी रूप, अष्टभुजा दुर्गा के प्रत्यक्ष रूप से विधि पूर्वक पूजन करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। महाष्टमी का महानिशा पूजा एवं सात्विक पंचबलि से न केवल शारीरिक एवं मानसिक क्लेश दूर होते है अपितु शक्ति संचय के साथ-साथ यश एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
हवन, पूजन एवं पाठ का सम्पूर्ण कार्यक्रम मठ पुरोहित पं. रामानुज त्रिपाठी वैदिक के नेतृत्व में डॉ अरविन्द कुमार चतुर्वेदी, डॉ.रोहित कुमार मिश्र, डॉ.दिग्विजय शुक्ल, पुरूषोत्तम चैबे एवं अन्य आचार्यो द्वारा सम्पन्न कराया गया।