सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारी पड़ रहा डर, कई संचालकों ने सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए रिलीज से किया इनकार
गोरखपुर। पद्मावत का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। देश के विभिन्न कोनों में चल रहा विरोध अब मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ के गढ़ तक पहुंच चुका है। हालांकि, गोरखपुर में इस फिल्म का कोई खास विरोध नहीं किया गया लेकिन सिनेमाघर संचालकों के मन में डर ऐसा कि कई सिनेमाघरों के संचालकों ने फिल्म का प्रदर्शन नहीं किए जाने का निर्णय लिया है। जबकि कुछ अभी तक यह निर्णय नहीं ले पाए हैं कि वे फिल्म प्रदर्शित करेंगे या नहीं। फिलवक्त, संचालकों के मूड और प्रशासनिक चुप्पी को देखते हुए यह साफ है कि वोट बैंक की राजनीति में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी कहीं कोई मायने नहीं रखता।
लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म
पदमावत के पूरे देश में प्रदर्शन का निर्णय सुनाया था। कोर्ट के प्रदर्शन पर रोक से इनकार के बाद फिल्म के निर्माता संजय लीला भंसाली ने 25 जनवरी को पूरे देश में फिल्म के प्रदर्शन की तारीख सुनिश्चित की थी। इसके बाद देश भर में क्षत्रिय समाज के संगठनों ने फिल्म का विरोध शुरू कर दिया। जगह जगह प्रदर्शन शुरू हो गए। तमाम जगह यह प्रदर्शन काफी उग्र रूप धारण कर चुका है।
विरोध के क्रम में गोरखपुर में भी
पद्मावत को लेकर सोमवार को क्षत्रिय समाज के संगठन ने प्रदर्शन कर संजय लीला भंसाली पुतला फूंका था।
हालांकि, बहुत विरोध नहीं किए जाने के बावजूद गोरखपुर में सिनेमाघर संचालक फिल्म को लेकर निर्णय नहीं ले सके हैं। वे यह तय नहीं कर पा रहे कि फिल्म का प्रदर्शन करें या न करें। हालांकि, कुछ सिनेमाघरों के संचालकों ने सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए अपने यहां फिल्म रिलीज नहीं करने का फैसला ले लिया है।
मल्टी स्क्रीन वाले सिटी माॅल में यह फिल्म प्रदर्शित नहीं होगी। चूंकि, सिटी माॅल में एसआरएस सिनेमाघर के अलावा भी कई व्यवसायिक प्रतिश्ठान है। हर दिन यहां सैकड़ों की संख्या में लोग आते-जाते रहते हैं। ऐसे में सिटी माॅल के संचालक किसी प्रकार की रिस्क लेने से इनकार करते हुए फिल्म केे अपने यहां रिलीज से ही मना कर दिया है। उन्होंने एसआरएस गु्रप को लिखित रूप से फिल्म प्रदर्शित किए जाने में असमर्थता जताई है। गु्रप की ओर से फिल्म
पद्मावत को चलाने का शेड्यूल मिला था लेकिन विरोध प्रदर्शन और हंगामे की आशंका के मद्देनजर प्रबंधन ने फैसला बदल दिया। इसी तरह शहर के एक और सिनेमाघर माया सिनेप्लेक्स में भी फिल्म को लेकर प्रबंधन ने रिस्क नहीं लिया है।
इसके अलावा शहर के अन्य सिनेमाघरों में अधिकतर का कहना है कि वे अभी निर्णय नहीं लिए हैं कि फिल्म दिखाएंगे या नहीं।
बहरहाल,
पदमावत के रिलीज के लिए सुप्रीम कोर्ट की हरीझंडी मिलने के बाद भी फिल्म को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। एक तरफ न्यायपालिका का निर्णय है तो दूसरी ओर कुछ मुट्ठीभर लोग जो किसी भी सूरत में फिल्म को प्रदर्शित करने से रोकना चाहते हैं। इनके बीच एक सरकार भी है जिसके हाथ में कानून-व्यवस्था को दुरूस्त रखने की जिम्मेदारी है।