अध्यक्षता कर रहे प्रतिकुलपति प्रो. एस. के. दीक्षित ने कहा कि जो राष्ट्रतत्व है उसका प्रत्येक स्तर पर कियान्वयन होना चाहिए। बिना विचार विमर्श के राष्ट्र का विकास नही हो सकता है। राष्ट्र के विकास में सामाजिक विज्ञानों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
विशिष्ट अतिथि अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. सी. पी. श्रीवास्तव ने कहा कि मानव विकास में समाजविज्ञान की भूमिका की अवहेलना नही की जा सकती है। विज्ञान और तकनीकी से लेकर जितने भी प्रयास होते हैं वास्तव में उसमें मनुष्य के कल्याण और खुशहाली की भावना होती है। इस दिशा में तभी सफलता मिल सकती है जब समाजविज्ञान की भूमिका बढ़ेगी।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष प्रो. ओ. पी. पाण्डेय ने कहा कि दीक्षान्त समारोह से ज्ञान परम्परा पुनर्जीवित होगी। संचालन समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ मनीष पाण्डेय ने किया।
इस अवसर पर प्रो. विनोद कुमार सिंह, प्रो. सी.पी. श्रीवास्तव, प्रो. जितेंद्र मिश्र, प्रो. हरिशरण, प्रो. एन.के. भोक्ता, प्रो. राजवंत राव, प्रो. रविशंकर सिंह, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, प्रो. विनोद श्रीवास्तव, प्रो. कीर्ति पाण्डेय, प्रो. राम प्रकाश, प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी, प्रो. संगीता पाण्डेय, प्रो. शफीक अहमद, प्रो. उमेश त्रिपाठी, प्रो. आलोक गोयल, प्रो. अंजू, प्रो. शुभी धुसिया, डॉ. अनुराग द्विवेदी, डॉ. राकेश प्रताप सिंह, डॉ. पवन, प्रकाश प्रियदर्शी, दीपेन्द्र मोहन सिंह आदि उपस्थित रहे।