गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद में कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लिया गया। कार्यपरिषद ने
गुरु गोरक्षनाथ पीठ के स्थापना को हरीझंडी दे दी है। तो नक़ल के आरोप में डीबार किये गए ज्ञान भारती महाविद्यालय, रगड़गंज (कुशीनगर) की संबद्धता समाप्त करने का भी निर्णय लिया गया है।
विश्वविद्यालय के सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की बैठक कुलपति प्रो.विजय
कृष्ण सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए –
1. कार्य परिषद ने गुरु श्री गोरक्षनाथ शोधपीठ की स्थापना से संबंधित प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति प्रदान की कर दी ।
2. सामूहिक नकल के आरोप में ज्ञान भारती महाविद्यालय, रगड़गंज की संबद्धता समाप्त किए जाने संबंधी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पूर्व में लिए गए निर्णय को भी कार्य परिषद ने अपनी मंजूरी दे दी ।
3. प्राणि विज्ञान विभाग के डॉक्टर परमहंस पाठक की प्रोन्नति प्रकरण में रिसर्च एसोसिएट के रूप में उनकी कार्य अवधि को जोड़े जाने के लंबित मामले में कार्य परिषद ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय परिनियमावली में संदर्भित नियमों के प्रावधानित होने के पश्चात ही इस संबंध में विचार किया जाना उचित होगा ।
4. वनस्पति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ यशवंत सिंह की प्रोन्नति प्रकरण में कार्य परिषद ने निर्णय लिया कि नई प्रोन्नति नियमावली के अंतर्गत ही उनका प्रोन्नति आवेदन विचारणीय होगा।
5. कार्य परिषद के समक्ष प्रो एच एस शुक्ला के सेवा विस्तार संबंधी प्रतिवेदन पर भी विचार हुआ । उल्लेखनीय है कि प्रो शुक्ला को वर्ष 2016 का शिक्षक श्री पुरस्कार सम्मान प्रदान किया गया है । नियमानुसार यह सम्मान प्राप्त करने वाले शिक्षक को 2 वर्ष का सेवा विस्तार प्रदान किया जाता है लेकिन चूंकि इस सम्मान की घोषणा से पूर्व प्रो शुक्ला सेवानिवृत्त हो चुके थे इसलिए इस बारे में अनिर्णय की स्थिति विद्यमान थी। कार्य परिषद की आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस प्रकरण को दिशा निर्देश के लिए शासन को संदर्भित कर दिया जाए।
6. कार्य परिषद ने विश्वविद्यालय के कर्मचारी सरस्वती चतुर्वेदी के सेवानिवृत्ति संबंधी मामले में निर्णय लिया की वर्तमान में प्रवृत्त शासनादेशों एवं व्यवस्था के अनुरूप इस पर विचार करना संभव नहीं है।
7. सामूहिक प्रवेश परीक्षा एवं ऑनलाइन काउंसिलिंग के बारे विद्यापरिषद के संस्तुति को भी EC ने अनुमोदित किया ।
8. Antiplagarism सॉफ्टवेयर को भी लागू करने का निर्णय लिया गया